प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्मारक इंडिया गेट का इतिहास

India Gate

इंडिया गेट, भारतीय ब्रिटिश आर्मी के उन सैनिकों को समर्पित एक स्मारक हैं जो प्रथम विश्व युद्ध एवं तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस स्मारक को अमन जवान ज्योति” और ”अखिल भारतीय युद्ध स्मारक” (ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल) के नाम से भी जाना जाता है।

इस स्मारक की दीवारों पर देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले हजारों सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से भी एक हैं, जिसके सुंदरता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं।

इंडिया गेट पर हर साल गणतंत्र दिवस पर विशाल परेड का आयोजन होता है। इस भव्य गेट की ऊंचाई करीब 42 मीटर है, जिसमें मशहूर वास्तुकार एडविन ल्यूटियन्स ने एक फ्रांसीसी स्मारक आर्क-डी-ट्रायोम्फ की तर्ज पर डिजाइन किया है, तो आइए जानते हैं इस अनूठी शहीद स्मारक से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी –

इंडिया गेट का इतिहास – India Gate History in Hindi

India Gate
India Gate

इंडिया गेट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एक नजर में – India Gate Information in Hindi

कहां स्थित है (India Gate Kaha Hai) राजपथ मार्ग, दिल्ली (भारत की राजधानी)
कब हुई इंडिया गेट की स्थापना 1931 ईसवी में।
किसने रखी थी इंडिया गेट की नींव ड्यूक ऑफ कनॉट ने इस स्मारक की नींव रखी थी।
इंडिया गेट का निर्माण करने वाले वास्तुकार का नाम (India Gate Kisne Banaya Hai) एडविन लैंडलियर ल्यूटियन्स
क्यों किया गया इंडिया गेट का निर्माण यह पहले विश्वयुद्ध के दौरान वीरगति पाए जाने वाले करीब 80 हजार सैनिकों के सम्मान में बनाया गया है।
इंडिया गेट की ऊंचाई कितनी है (India Gate Height) करीब 42 मीटर
प्रसिद्धि अमर जवान ज्योति

भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है इंडिया गेट – India Gate Story

भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया गेट भारत का एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्मारक होने के साथ-साथ भारत के बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे ‘अखिल भारतीय युद्ध स्मारक’ के रूप में भी जाना जाता है।

इंडिया गेट से प्रथम विश्व युद्ध के दौरान शहीद हुए तमाम वीर सैनिकों की यादें जुड़ी हुई हैं, यह स्मारक भारतीय सेना के सैनिकों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। आपको बता दें कि इंडिया गेट, भारत के सबसे महत्वपूर्ण विरासतों में गिना जाता है।

इंडिया गेट का निर्माण एवं इसका इतिहास – India Gate Information

भारत की राजधानी दिल्ली के राजपथ मार्ग पर स्थित इंडिया गेट निर्माण 1931 ईसवी में किया गया था।

साल 1914 से 1918 के बीच चले पहले विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के करीब 90 हजार सैनिकों ने अपने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा के लिए बड़ी वीरता के साथ दुश्मन सेना से युद्ध लड़ा था, हालांकि इस युद्ध में  करीब 82 हजार सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

इस युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों के सम्मान और उन्हें श्रंद्धाजंली अर्पित करने के लिए दिल्ली के राजपथ में इस राष्ट्रीय स्मारक इंडिया गेट का निर्माण किया गया था।

शुरुआत में इस स्मारक का नाम ”ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल” रखा गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर इंडिया गेट कर दिया गया।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना के हजारों जवान फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया, फ्रांस, पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली समेत कई अन्य स्थानों पर लड़ते हुए शहीद हो गए थे, उन सैनिकों के सम्मान और स्मृति में ही इस अद्भुत शहीद स्मारक का निर्माण किया गया था।

लाल बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से निर्मित भारत की इस भव्य शहीद स्मारक की दीवारों में बेहद सृजनात्मक और अनूठे तरीके से इन हजारों शहीदों का नाम भी लिखो गए हैं।

इसके साथ ही आपको बता दें कि 15 अगस्त, 1947 से पहले जब  देश ब्रिटिशों की गुलामी सह रहा था, तब इंडिया गेट के सामने किंग जॉर्ज वी की एक प्रतिमा स्थापित थी।

लेकिन आजादी मिलने के बाद इस प्रतिमा को हटाकर ब्रिटिश राज की अन्य प्रतिमाओं के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था। देश की इस अनमोल धरोहर में समय-समय पर कई संसोधन भी किए जाते रहे हैं।

जिसकी वजह से दिल्ली के राजपथ पर स्थित यह स्मारक सैनिकों का एक महत्वपूर्ण स्मारक बन गया है।

साल 1971 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के समय शहीद होने वाले तमाम भारतीय सैनिको के सम्मान में यहां ”अमर जवान ज्योति” की स्थापना की गई, जहां साल के 365 एवं 24 घंटे, हमेशा ही सैनिकों के सम्मान में एक लौ जलती रहती है।

इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति” – Amar Jawan Jyoti

भारत के इस सबसे बड़े शहीद स्मारक के तल पर ”अमर जवान ज्योति” बना हुआ है, जो कि देश के उन जवानों के त्याग, बलिदान और कुर्बानियों की याद दिलवाता है, जिन्होंने भारत-पाकिस्तान के युद्ध में अपनी देश की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।

इन वीर सैनिकों के शहादत के सम्मान में साल 1971 में अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया है। इस शहीदों को समर्पित स्मारक का शुभारंभ 26 जनवरी, सन् 1972 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने किया था और उस समय उन्होंने देश के लिए मर मिटने वाले सैनिकों को इस स्मारक पर भावपूर्ण श्रद्धांजली अर्पित की थी।

तभी से हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड के आयोजन से पहले भारत के प्रधानमंत्री एवं तीनों सेनाओं के प्रमुख और सभी मुख्य अतिथियों के द्धारा अमर जवान ज्योति पर पुष्प चढ़ाकर शहीदों को इस स्मारक पर सच्चे मन से श्रद्धांजली दी जाती है।

इसके अलावा इस शहीद स्मारक पर शहीद दिवस एवं विजय दिवस समेत अन्य मौके पर भारत के तीनों सेना के प्रमुखों के द्धारा शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की जाती है।

दिल्ली में स्थित अमर जवान ज्योति संगमरमर का बना हुआ है, जिसमें बड़े अक्षरों में ‘अमर जवान ज्योति’ लिखा गया है। इसके साथ ही इस स्मारक के ऊपर L1A1 एक स्व-लोडिंग राइफल रखी गई है। जिस पर एक सैनिक का हेलमेट शोभा दे रहा है।

अमर जवान ज्योति की खास बात यह है कि यहां शहीदों की याद में हमेशा एक अन्नत लौ प्रज्जवलित रहती है, जो कि भारत-पाक युद्ध के समय अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों को श्रद्धांजली है।

आपको बता दें कि भारत की इस सबसे बड़े शहीद स्मारक ”अमर जवान ज्योति” की लौ हमेशा सीएनजी गैस से जलती रहती है, जिसकी आपूर्ति एक गैस पाइपलाइन के माध्यम से की जाती है।

यह गैस पाइपलाइन, दिल्ली के कस्तूरबा मार्ग से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित अमर जवान ज्योति तक बिछाई गई है।

सैनिकों के इस महत्वपूर्ण स्थल पर 1 नहीं बल्कि 4 जोत रखी गईं हैं, जिनमें से सिर्फ एक जोत ही ऐसी है, जो कि हमेशा जलती रहती है, जबकि अन्य 3 जोतों को भारत के राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त या फिर 26 जनवरी पर ही जलाया जाता है।

वहीं दिल्ली में स्थित इस महत्पूर्ण सैन्य स्मारक की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखा गया है।

इस शहीद स्मारक की सुरक्षा के लिए हमेशा भारतीय सेना, भारतीय नौसेना और वायु सेना के सैनिक तैनात रहते हैं और 24 घंटे इसकी पहरेदारी करते हैं, ताकि युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों की स्मृति में बने इस स्मारक को किसी की तरह का नुकसान न पहुंचे।

इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस पर होने वाली शानदार परेड – India Gate Parade

भारत की इस राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर शहीदों के सम्मान में एक विशाल परेड का आयोजन किया जाता है।

इस दौरान जल, थल और वायु तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्धारा राजपथ पर सलामी दी जाती है। इस परेड दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से शुरु होकर इंडिया गेट के परिसर से गुजरती है, इस दौरान गणतंत्र दिवस के उद्घोषों के साथ माहौल देशभक्ति से ओतप्रोत रहता है, लोग देशभक्ति के जश्न में डूबे दिखाई देते हैं।

इस परेड के दौरान भारत के तीनों सेनाओं की महाशक्ति का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें सेना अपना दमखम दिखाते हैं। इसके साथ ही इस परेड के दौरान अलग-अलग राज्यों के लोग विभिन्न झांकियां निकालते हैं, जिसमें उनकी सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है।

सबसे बड़े शहीद स्मारक ऐसे पहुंचे – How to Reach India Gate

दिल्ली में स्थित इस सबसे बड़े शहीद स्मारक इंडिया गेट को देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

भारत की राजधानी दिल्ली न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतराष्ट्रीय हवाई मार्ग से भी काफी अच्छे से जुड़ा हुआ है। यहां पर्यटक सड़क, रेल, एवं वायु तीनों मार्गों द्धारा आसानी से पहुंच सकते हैं।

अगर सैलानी रेल मार्ग के माध्यम से दिल्ली पहुंचते हैं तो यहां नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन दोनों से ही इंडिया गेट तक पहुंचने के कई विकल्प मौजूद हैं।

यहां से सैलानी मेट्रो ट्रेन की सुविधा से आसानी से कम खर्च में इंडिया गेट पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा यहां फ्लाइट और बसों के माध्यम से पहुंचने वाले यात्री भी आसानी से मेट्रो ट्रेन, लोकल बसें या फिर टैक्सी के माध्यम से इस स्मारक को देखने के लिए पहुंच सकते हैं।

वहीं अगर पर्यटक अपनी कार के माध्यम से इंडिया गेट की भव्यता को निहारने जा रहे हैं तो उन्हें इस स्मारक से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर शाहजहां रोड के पास स्थित पार्किंग में अपने वाहन को पार्क करने के बाद इंडिया गेट की सैर कर सकते हैं।

इंडिया गेट के बारे में कुछ महत्वपूर्ण, रोचक और दिलचस्प तथ्य – Facts about India Gate

  • देश के लिए मर मिटने वाले शहीदों की याद में बनाया गया यह स्मारक भारत के सबसे बड़े युद्ध स्मारकों में से एक है, जिसे उस समय के मशहूर वास्तुकार एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था।
  • करीब 42 मीटर ऊंचे इस राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिला 10 फरवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने रखी थी, जबकि इसका निर्माण काम को पूरा होने में10 साल का लंबा वक्त लग गया था।
  • इंडिया गेट को शुरुआत में अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के तौर पर जाना जाता था, लेकिन फिर बाद में इसका नाम इंडिया गेट कर दिया गया।
  • इंडिया गेट के तल पर बनी अमर जवान ज्योति को भारत-पाक के युद्ध में शहीद हुए हजारों भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया है, जिसमें हमेशा एक लौ शहीदों की स्मृति और उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए जलती रहती है।
  • भारत की इस सबसे बड़े युद्ध स्मारक के दीवारों पर प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लों-अफगान युद्ध में शहीद हुए हजारों भारतीय सैनिकों के नाम शिल्पित किए गए हैं। जबकि इसे पेरिस में स्थित ”आर्क डी ट्रायम्फ” की तर्ज पर डिजाइन किया गया है।
  • इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति का उद्घाटन देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था और 26 जनवरी के दिन देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की थी, तब से लेकर आज तक गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व के दौरान हर साल देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवं तीनों सेनाओं के प्रमुखों द्धारा अमर जवान ज्योति पर पूरे श्रद्धा भाव और सच्चे मन से शहीदों को श्रद्धांजली दी जाती है।
  • अमर जवान ज्योति पर एक स्व-लोडिंग राइफल और सैनिक का हेलमेट भी रखा गया है, जो कि इसकी शोभा को और अधिक बढ़ा रहा है।
  • करीब 42 मीटर ऊंचे इस शहीद स्मारक का निर्माण भरतपुर से लाए गए लाल और पीले पत्थरों का इस्तेमाल कर किया गया।
  • इंडिया गेट, दिल्ली के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसे खूबसूरती को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं
  • दिल्ली में स्थित इंडिया गेट, दुनिया के सबसे बड़े वैश्विक युद्ध स्मारक के तौर पर भी मशहूर है, जिसके देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्धारा प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। इसके साथ ही यह गणतंत्र दिवस परेड के आयोजन स्थल के रुप में भी जाना जाता है।
  • दुनिया का सबसे बड़ा युद्द स्मारक होने के साथ-साथ यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट भी है, जहां लोग छुट्टियां मनाने और अपने दिमाग को तारोताजा करने के लिए जाते हैं।
  • भारत के इस महत्वपूर्ण स्मारक के सामने बनी हुई छतरी में पहले जॉर्ज पंचम की मूर्ति स्थापित थी, लेकिन आजादी के बाद में इसके कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया था।
  • इंडिया गेट के आस-पास बने हरे-भरे बगीचे, बोट क्लब और पार्क इसकी सुंदरता को और अधिक बढ़ाने का काम करते हैं।

दिल्ली में स्थित भारत का यह सबसे बड़ा युद्ध स्मारक इंडिया गेट सैनिकों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण स्थल है। इंडिया गेट, भारत की शान है जो कि देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले वीर सैनिकों की शहादत को याद दिलवाता है, इसलिए देश के इस सबसे बड़े शहीद स्मारक के प्रति समस्त भारतवासियों के ह्रद्य में अपूर्व सम्मान है।

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14 thoughts on “प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्मारक इंडिया गेट का इतिहास”

  1. India gate is a just to remember shoulders who lost their lives in AFGAN WAR and FIRST WORLD WAR. not more than that.

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