माँ अम्बिका स्थान आमी मंदिर का इतिहास | Aami Temple History

Aami Temple

आमी मंदिर जिसे ज्यादातर लोग मा अम्बिका स्थान से ही जानते है। इस मंदिर की जो पवित्र देवता है वो मा अम्बिका भवानी है। हिन्दू धर्म में मा अम्बिका भवानी को पार्वती, गौरी, दुर्गा आदि नामो से जाना जाता है। माँ अम्बिका देवी का मंदिर आमी शहर में आता है। आमी मंदिर के नाम पर से ही शहर को आमी शहर कर के नाम पड़ा।

Aami Mandir

माँ अम्बिका स्थान आमी मंदिर का इतिहास – Aami Temple History

इस मंदिर से जुडी एक बहुत पुराणी और रहस्यमयी कहानी है। उस कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मदेव के पुत्र प्रजापति दक्ष एक बार भगवान शिव की पत्नी देवी सती के सामने ही बड़े आवाज में आलोचना करने लगे। और ऐसा करते वक्त वो भगवान शिव का अपमान भी कर रहे थे।

वो सब देवी सती से देखा नहीं गया और देवी ने उसी समय ख़ुदकी जान दे दी। जब भगवान शिव को पता चलाकी उनकी पत्नी उन्हें हमेशा के लिए छोड़ के चली गयी तो भगवान शिव को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में देवी सती को कंधे पर बिठाकर तांडव करना शुरू कर दिया और उस तांडव के दौरान देवी सती के शरीर का कुछ हिस्सा निचे गिर गया।

और जिस जगह पर उनके शरीर का हिस्सा गिरा आज उसी जगह आमी मंदिर बनाया गया। तो यही है इस मंदिर की रोमांचक बात जिसे सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे।

देवी मा अम्बिका ‘महादेवी’ का एक सौम्य रूप भी माना जाता है। देवी मा अम्बिका “आदि पराशक्ति” का एक अवतार भी माना जाता है।

आमी गाव में पूजा करने का एक बहुत ही पुराना स्थान है जिसे ‘अम्बा स्थान’ कहते है और इस स्थान के बाजु में एक बड़ा सा बाग है। उस बाग में एक बहुत ही गहरा कुआ है जो साल भर पानी से भरा रहता है और कभीभी सुखा नहीं पड़ता, ऐसा यहाँ के लोगो का कहना है।

यहाँ के यज्ञ कुंड के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लोग बहुत दूर दूर से आते है। नवरात्री में सभी श्रद्धालु भक्त देवी के दर्शन करने के लिए आते है। जितने भी भक्त उस कुंड में जल चढाते है तो वो जल अपने आप ग़ायब हो जाता है। यही कुंड की खास बात है।

मंदिर से एक और खास बात जुडी है जिसके अनुसार जो भी श्रद्धालु भक्त देवी का दर्शन कर लेता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती। शायद उसी वजह से हर दशहरा के दिन यहापर भक्त लोग बड़े पैमाने पर आते है और देवी का आशीर्वाद प्राप्त करते है।

नवरात्री

जैसे की यह मंदिर देवी अम्बिका का है तो यहापर नवरात्रि का उत्सव बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस उत्साह के अवसर पर आमी गाव में बहुत बड़ी यात्रा का आयोजन भी किया जाता है।

शिवरात्रि

जब शिवरात्रि का पर्व आता है तो लोग उसे बड़े धूम धाम से मनाते है क्यु की उसी जगह पर भगवान शिव और सती की शादी हुई थी।

शिवविवाह

जिस तरह से यहाँ के लोग शिव और सती के विवाह को बड़े उत्साह से मनाते है उसी तरह से सभी लोग शिव विवाह का त्यौहार जोरशोर से मनाते है। इस विवाह के दौरान एक तरफ़ से दुल्हे का लाया जाता है और दूसरी तरफ़ से दुल्हन को लाया जाता है। और फिर उनका विवाह हिन्दू रीतोरिवाजो के अनुसार लगाया जाता है।

भारत जैसे देश में मंदिरों की कोई कमी नहीं। लेकिन इस बिहार के चपर जिले के मंदिर की बात ही कुछ खास है। वैसे जब भी कोई मंदिर बनाया जाता है तो वो एक तो ज़मीन पर बनाया जाता है या फिर किसी पत्थर पर।

लेकिन यह आमी मंदिर ऊपर की दोनों बातो को झुटा साबित करने में सफ़ल रहा है। क्यु की इस मंदिर को किसी खास मलबे पर निर्माण किया गया है। तो यही है इस मंदिर की खास बात जो इसे बाकी मंदिरों से भिन्न बनती है।

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