वृंदावन के गोपेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास | Gopeshwar Mahadev Temple Vrindavan History

Gopeshwar Mahadev Temple

भगवान शिव जगतपिता होने के कारण सारे संसार को संभालने की जिम्मेदारी उन्हें ही निभानी पड़ती है। विश्व का कल्याण करने के लिए उन्होंने समय समय पर कई सारे अवतार लिए और उन सभी अवतार के पीछे सबका कल्याण करने का ही उद्देश था।

भगवान शिव ने जो अवतार लिए थे वे सभी सामान्य अवतार थे क्यों की उन सभी अवतारों में वे पुरुष के अवतार में थे। लेकिन एक बार परिस्थितिया बिलकुल अलग थी जिसकी वजह से उन्हें पुरुष का अवतार लेने के जगह पर स्त्री का अवतार लेना पड़ा।

लेकिन इस अवतार को भगवान शिव को क्यों लेना पड़ा इसके बारे में बहुत लोगो को ज्ञात नहीं। भगवान शिव के इसी रहस्यमयी अवतार के बारे में हम आपको जानकारी देने वाले है। भगवान शिव के इस अवतार को सभी लोग आज गोपेश्वर का अवतार कहते है। तो चलिए जानते है भगवान शिव के इस रहस्यमयी अवतार के बारे में।

Gopeshwar Mahadev

गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन का इतिहास – Gopeshwar Mahadev Temple Vrindavan History

गोपेश्वर महादेव मंदिर वृंदावन का सबसे पुराना मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिर वृंदावन के वंसिवता प्रदेश में स्थित है।

ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर के शिवलिंग की स्थापना भगवान श्री कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने की थी।

ऐसा भी कहा जाता है की इस मंदिर के परिसर में बडासा पीपल का पेड़ भी और यह पेड़ सबकी इच्छाए पूरी करता है इसीलिए इस पेड़ को कल्पवृक्ष कहा जाता है।

इस मंदिर के भगवान शिव के शिवलिंग को गोपेश्वर नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के भगवान ने साडी पहनी है और भगवान में महिला के सारे गुण दिखाई देते है।

सुबह के समय में भक्त मंदिर में आकर भगवान गोपेश्वर के दर्शन करते है। कुछ भक्त भगवान को जलाभिषेक करते है तो कुछ दूध या शहद से अभिषेक करते है।

ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद में भक्त के सारे दुःख दर्द ख़तम हो जाते है और उसे आनंद का अनुभव होता है।

गोपेश्वर महादेव मंदिर की कहानी – Gopeshwar Mahadev Temple Story

गोपेश्वर महादेव मंदिर के पीछे भी एक बड़ी पौराणिक कहानी छिपी है। ऐसा कहा जाता है एक बार भगवान कृष्ण वृंदावन में यमुना नदी के किनारे महारास रचने वाले थे और उस समय शांत रात्रि का समय था। इस रासलीला के देखने के लिए भगवान शिव और उनकी पत्नी माता पार्वती काफी उत्सुक थी।

लेकिन जहापर यह रासलीला होने वाली थी वहापर अकेले भगवान कृष्ण को छोड़कर कोई अन्य पुरुष जा नहीं सकता था। माता पार्वती को रासलीला देखने के लिए बड़ी आसानी से अनुमति मिल गयी थी।

लेकिन भगवान शिव को रासलीला देखने के लिए अन्दर आने नहीं दिया। इस रासलीला की देवी राधा को प्रसन्न करने के लिए केवल भगवान कृष्ण यह रासलीला करनेवाले थे, उन्हें अपना मित्र बनाने वाले थे।

जब भगवान शिव को अन्दर आने से मना कर दिया तो वे बहुत दुखी और निराश हुए। इसीलिए उन्हें वृंदावन में प्रवेशद्वार के बाहर रहना पड़ा और देवी पार्वती की प्रतीक्षा करनी पड़ी।

लेकिन भगवान शिव को रासलीला देखने की तीव्र इच्छा थी इसलिए वे रासेश्वरी देवी राधा को विनती करने लगे। भगवान शिव की तीव्र इच्छा को देखकर वृंदा देवी ने उन्हें रासलीला देखने का रहस्य बताया। भगवान शिव को मानसरोवर में यमुना नदी में स्नान करने के लिए कहा गया था।

वृंदा देवी के कहने पर भगवान शिव ने यमुना नदी में स्नान किया और नदी के बाहर आते ही उन्होंने स्त्री का शरीर धारण कर लिया था।

इसके बाद भगवान शिव को रासलीला देखने की अनुमति मिल गयी और वे अन्दर चले गए लेकिन उन्हें देखकर भगवान कृष्ण उनपर थोडेसे हसे और उन्होंने भगवान शिव को गोपेश्वर नाम दे दिया।

उसके बाद भगवान कृष्ण ने उन्हें रासलीला के प्रवेशद्वार पर रहने की जिम्मेदारी सौपी और जो अन्दर आने के लिए योग्य है उन्हें ही अनुमति देने को कहा था।

उस दिन से भगवान शिव वहापर गोपेश्वर के रूप में प्रवेशद्वार पर रहकर रक्षक का काम करते है और किसी अनुचित व्यक्ति को अन्दर आने नहीं देते। गोपेश्वर पुरे वृंदावन का रक्षण करने का काम करते है और इसीलिए बाद में वृंदावन में गोपेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की गई।

गोपेश्वर महादेव मंदिर की वास्तुकला – Gopeshwar Mahadev Temple Architecture

भगवान शिव के इस गोपेश्वर मंदिर को बहुत सुन्दरता से बनाया गया है। इस मंदिर को बहुत ही सुन्दर वास्तुकला में बनाया गया है इसीलिए हर यात्री ने इस मंदिर को जरुर भेट देनी चाहिए।

ऐसा कहा जाता है की भगवान शिव का यह गोपेश्वर अवतार सबसे पवित्र और दिव्य अवतार माना जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव गोपेश्वर के रूप में और भगवान कृष्ण गोपी के रूप में स्थित है।

वृंदावन में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर काफी मनोहारी है। इस मंदिर के सभी लोग भगवान शिव को गोपेश्वर नाम से जानते है। यहाका गोपेश्वर महादेव मंदिर बहुत बड़ा और भव्य है। इस मंदिर को बहुत ही सुन्दर वास्तुकला में बनाया गया है।

ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर के बाजु में एक पीपल का पेड़ है। पीपल का पेड़ काफी विशेष है की क्यों जो भी इस पेड़ के सामने अपनी इच्छा रखता है तो पेड़ उसकी सारी इच्छाए पूरी करता है। इसीलिए बहुत से लोग इस पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहते है।

महादेव के इस मंदिर को बहुत ही सुन्दरता से बनाया गया है। इसीलिए जिन्हें पर्यटन अच्छा लगता है उन्होंने इस मंदिर को एक बार अवश्य भेट देनी चाहिए।

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1 thought on “वृंदावन के गोपेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास | Gopeshwar Mahadev Temple Vrindavan History”

  1. Brijesh shrivastav

    राधे राधे। जय श्री गोपेश्वर् महादेव, बंशी बट, बृद्रावन

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