हल्दी घाटी के युद्ध की पूरी कहानी – Haldighati ka Yudh

Haldighati ka Yudh

भारतीय इतिहास में हमनें कई वीर योद्धाओं के बारे में पढ़ा है। जिनमें से एक महाराणा प्रताप भी है। महाराणा प्रताप की आपने बहुत सी वीरगाथाएं आपने सुनी होंगी। महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा उदयसिंह के पुत्र थे। महाराणा प्रताप के चित्तौंड़ का राजा बने के बाद उन्होनें अपने जीवनकाल के दौरान बहुत से युद्ध लड़े और जीते। लेकिन अक्सर महाराणा प्रताप के इतिहास को ज्यादातर लोग सिर्फ हल्दी घाटी के युद्ध – Haldighati ka Yudh तक जानते है।

वहीं अकबर द्धारा लड़ी गई बड़ी लड़ाईयों में हल्दीघाटी की लड़ाई भारतीय इतिहास में सबसे मशहूर है। यह लड़ाई अकबर और शक्तिशाली राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप के बीच 18 जून 1576 में लड़ी गई थी। हल्दीघाटी का युद्ध न सिर्फ राजस्थान का बल्कि हिन्दुस्तान के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण युद्ध है जो कि सिर्फ 4 घंटे में ही खत्म हो गया था।

मुगलों और राजपूतों के बीच हुई हल्दीघाटी की इस लड़ाई में आधे से ज्यादा राजपूताना शक्ति मुगलों से मिल गई थी, लेकिन फिर भी स्वाभिमानी और महापराक्रमी योद्धा महाराणा प्रताप ने मुगल सम्राट अकबर की गुलामी कभी स्वीकार नहीं की थी।

Haldighati – हल्दी घाटी के बाद क्या हुआ इसके बारे में बहुत कम लोग जानते है? और आज हम उसी इतिहास के बारे में बताने वाले है लेकिन इसे पहले आपको ये जानना भी जरुरी है कि हल्दी घाटी युद्ध – Haldighati War में क्या हुआ था।

हल्दी घाटी के युद्ध की पूरी कहानी – Haldighati ka Yudh Haldighati ka Yudh

हल्दीघाटी का युद्ध का सारांश एक नजर में – Battle of Haldighati Summary

कब लड़ा गया था: 18 जून 1576
किस-किसके बीच लड़ा गया था युद्ध: मुगल सम्राट अकबर और राजपूत शासक महाराणा प्रताप सिंह
कहां लड़ा गया था युद्ध: हल्दी घाटी के मैदान में।

हल्दीघाटी का युद्ध (अकबर द्धारा लड़़ा गया सबसे बड़ा युद्ध) – Akbar ka Yudh

हल्दीघाटी की लड़ाई महान मुगल सम्राट अकबर और महापराक्रमी राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप के बीच लड़ी गई सबसे प्रमुख लड़ाईयों में से एक है। इस लड़ाई में मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप सिंह की सेना का नेतृत्व अफगान योद्धा हाकिम खां और महाराणा प्रताप ने खुद किया था, जबकि मुगल सेना का नेतृत्व मानसिंह ने किया था।

आपको बता दें कि 1576 में लड़ी गई हल्दीघाटी की इस लड़ाई में मुगल सम्राट अकबर के पास लगभग 80 हजार से भी ज्यादा सैनिकों वाली विशाल सेना और भारी मात्रा में युद्ध हथियार थे, जबकि राजपूत सेना के पास मुगलों की अपेक्षा कम सैनिक थे, महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20 हजार आसपास सैनिक ही थे।

वहीं अपनी छोटी सैन्य टुकड़ी के साथ ही मेवाड़ के बहादुर राजपूत शासक महाराणा प्रताप ने राजस्थान के हल्दीघाटी गोमुंडा की युद्धभूमि में अकबर की सेना पर हमला कर दिया। रणभूमि पर राजपूत सैनिक कम अस्त्र-शस्त्र होते हुए भी मुगलों से वीरता के साथ मुकाबला करते रहे और अपने अद्भुत साहस एवं पराक्रम से महाराणा प्रताप ने मुगलों को छटी का दूध याद दिलवा दिया।

यह युद्ध करीब 4 घंटे तक चला, इस लड़ाई में अकबर की सेना ज्यादा होते हुए भी राजपूतों के सेना के सामने पस्त पड़ गई थी, हालांकि, राजपूतों की सेना अपने अंतिम समय तक डटे रहे। महाराणा प्रताप घायल होने के बाबजूद भी अकबर से सामने नहीं झुके थे। हल्दीघाटी की इस ऐतिहासिक लड़ाई में राजपूतों ने मुगलों की हालत खस्ता कर दी थी।

वहीं महाराणा प्रताप इस युद्द में किसी तरह अपनी वहा से निकल गए, जबकि मुगल सम्राट अकबर का राजपूतों की शान माने जाने वाले तेजस्वी राजपूत योद्धा महाराणा प्रताप को पकड़ने का सपना अधूरा ही रह गया था।

महज 4 घंटे की इस लढाई में किसकी जीत हुई – Who Won The Battle of Haldighati

जून, 1576 में लड़ी गई हल्दीघाटी की यह लड़ाई सिर्फ 4 घंटे में ही खत्म हो गई थी। इस युद्ध में राजपूतों की सेना अपनी रणनीति के साथ युद्ध लड़ रही थी, और मुगलों की सेना पर भारी पड़ रही थी, जबकि मुगलों की सेना अपने भारी युद्ध शस्त्र और विशाल सेना के साथ युद्ध भूमि में राजपूतों का मुकाबला कर रही थी।

हालांकि, हल्दीघाटी की लड़ाई में अकबर और महाराणा प्रताप में किसकी जीत हुई, इसको लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत है।

हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम – Result of Battle of Haldighati

भारतीय इतिहास की इस सबसे बड़ी लड़ाई के बाद मेवाड़, चित्तौड़, कुंभलगढ़, उदयपुर, गोगंडा आदि क्षेत्रों पर मुगल सम्राट अकबर ने अपना कब्जा कर लिया था। वहीं इस युद्ध के बाद राजपूतों की शक्ति कमजोर पड़ गई थी, क्योंकि ज्यादातर राजपूत राजाओं ने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी।

जिसके चलते उन्हें मुगलों के अनुसार काम करना पड़ता था, जबकि महाराणा प्रताप, हल्दीघाटी के युद्ध में रणभूमि से चले गए थे, लेकिन उन्होंने कभी अकबर की गुलामी स्वीकार नहीं की थी, और वे हिन्दुस्तान में फिर से राजपूताना कायम करने के प्रयास में जुटे रहे थे।

हल्दीघाटी के युद्द में जीत को लेकर सभी इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं, लेकिन कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इतिहास की इस विशाल लड़ाई में न तो मुगल सम्राट अकबर की जीत हुई थी, और न ही मेवाड़ के शक्तिशाली शासक महाराणा प्रताप की हार हुई थी।

दरअसल, हल्दीघाटी की इस लड़ाई में एक तरफ जहां सम्राट अकबर के पास अपनी विशाल सेना थी, तो दूसरी तरफ महापराक्रमी योद्धा महाराणा प्रताप के पास शौर्य, साहस, पराक्रम, और वीरता की कोई कमी नहीं थी। वहीं इस युद्ध के बाद मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप की शौर्यता और साहस के चर्चे पूरे देश में होने लगे थे, तो वहीं मुगल सम्राट अकबर ने हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद मुगल साम्राज्य का काफी विस्तार कर लिया था।

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