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जानिए एक ऐसे युद्ध के बारेमें जिसके बाद सम्राट अशोक का हुआ था ह्रदय परिवर्तन

Kalinga Ka Yudh

इतिहास की किताबों में आपने कई युद्धों के बारे में पड़ा होगा। जिनमें से ज्यादातर युद्धों में हमें केवल यही पढ़ने को मिलता है कि एक देश या एक राज्य ने दूसरे राज्य को हराया और उसे अपने आधीन कर लिया उसे अपने राज्य में शामिल कर लिया।

लेकिन क्या आप जानते है इतिहास का एक युद्ध ऐसा है जिसने न केवल एक राजा बल्कि हजारों लोगों की जिंदगी बदली दी। और लोगों को युद्ध से हटकर शांति के रास्ते पर चलने की एक नई सोच दी।

ये हम जानते है कि हर युद्ध में एक की हार होती है तो एक की जीत। लेकिन हार जीत के बीच दो प्रतिवंद्धियों के हजारों लोग मारे जाते है। कई लाख लोगों की जिंदगी बदल जाती है। लेकिन कलिंग का युद्ध इतिहास का एक ऐसा युद्ध माना जाता है जिसमें लाखों सैनिकों की जान गई।

इतिहास के सबसे महानतम और शक्तिशाली शासक सम्राट अशोक और राजा अनंत पद्नाभन के बीच 261 ईसा पूर्व में लड़ा गया कलिंग युद्ध इतिहास का सबसे भयावह युद्ध था।

यह युद्ध अत्यंत विनाशकारी युद्ध था, जिसमें लाखों बेकसूर और मासूम लोग मौत के घाट उतर गए थे। हालांकि इस युद्ध के बाद ही सम्राट अशोक का ह्रदय परिवर्तन हुआ था और उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपना लिया था और वे बौद्ध धर्म के अनुयायी बन गए थे।

वहीं आज हम आपको इस आर्टिकल में इतिहास के इस सबसे विध्वंशकारी युद्ध के बारे में बता रहे हैं, हम आपको इस युद्ध के कारण, परिणाम और प्रभावों के बारे में बता रहे हैं-

कलिंग युद्ध जिसके बाद सम्राट अशोक का हुआ था ह्रदय परिवर्तन – Kalinga War

कलिंग युद्ध का इतिहास और जानकारी – Kalinga Yudh History in Hindi

चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के राजा थे अशोक राजा बिंदुसार के दूसरे पुत्र और चंद्रगुप्त मौर्य के पोते थे। और अपने पिता और दादा की ही तरह सम्राट अशोक में वीरता के गुण कूट कूट कर भरी थी।

लेकिन राजा बिंदुसार के कई पुत्र थे और अशोक से बड़ा पुत्र था सुषम। जिस वजह से राजगद्दी के लिए अशोक को अपने ही भाइयों के साथ गृहयुद्ध करना पड़ा था।

जिसके बाद अशोक को सत्ता मिली थी। अशोक इतने शुरवीर योद्ध और राजा थे कि उस समय उनका साम्राज्य ईरान और बर्मा तक फैला था। जहां – जहां तक अशोक ने अपने राज्य का विस्तार किया वहां पर अशोक स्तंभों की स्थापना की।

जिनमें से बहुत से स्तंभ मुगल काल के आक्रमण के दौरान तोड़ दिए गए। लेकिन कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक की सोच में परिवर्तन आया।

दरअसल कलिंग युद्ध अशोक के राज्याभिषेक के बाद 8वें साल में लड़ा गया था। यानी की आज से 261 ई.पू कलिंग का युद्ध हुआ था। इस युद्ध में दोनों ही राज्यों ने अपनी पूरी ताकत डाल दी थी।

माना जाता है कि कलिंग युद्ध में कलिंग की तरफ से डेढ़ लाख यौद्धाओं ने युद्ध में भाग लिया था वहीं मौर्य समाज ने अपने एक लाख यौद्धा युद्ध में उतारे थे।

हालांकि अंत में विजय चक्रवर्ती सम्राट अशोक की हुई। लेकिन अशोक जब राजा पद्मनाभन को हराने के बाद जब कलिंग के किले की ओर आगे बढ़े तो कलिंग की राजकुमारी और सभी महिलाएं तलवार लेकर खड़ी हो गई। महिलाओं को देख अशोक ने उनसे हटने का आग्रह किया।

लेकिन कलिंग की महिलाएं अशोक से युद्ध करना चाहती थी। लेकिन सम्राट अशोक कभी भी महिलाओं से युद्ध नहीं करते थे। पर उन महिलाओं का कहना था कि मौर्यों से युद्ध में उनके पति, भाई, बेटे सभी शहीद हो गए इसलिए वो भी युद्ध करना चाहती है जिस वजह से उन्होनें अपनी तलवार फेंक दी।

अशोक को उस पल एहससा हुआ कि उनके इस युद्ध के कारण कितने परिवार उजड़ गए कितने बच्चे अनाथ हो गए।

कलिंग युद्ध अशोक सम्राट के जीवन का आखिरी युद्ध था इसके बाद अशोक ने अहिंसा का मार्ग अपनाया और बौद्ध धर्म अपना लिया।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार बर्मा, श्रीलंकाअफगानिस्तान, ईरान तक किया। इसके अलावा लोगों की भलाई के लिए जगह – जगह सड़कों का निर्माण करवाया, पीने के पानी के लिए तालाब की व्यवस्था की।

कलिंग का युद्ध कब और किस-किसके बीच लड़ा गया? – Kalinga War Between Which Kings

कलिंग का विध्वंसकारी युद्ध इतिहास के सबसे महान और कुशल शासक सम्राट अशोक और कलिंग के शासक राजा अनंत पद्धानाभन के बीच 261-262 ईसा पूर्व मे दया नदी के किनारे लड़ा गया था। आपको बता दें कलिंग राज्य उस समय छत्तीसगढ़, बंगाल, झारखंड, और ओडिशा एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में स्थित था।

कलिंग युद्द के प्रमुख कारण – Causes Of Kalinga War

इतिहास के इस सबसे विध्वंशकारी और खूनी युद्ध होने के प्रमुख कारण इस प्रकार है

ऐसा माना जाता है कि कलिंग जो कि वर्तमान ओडिशा राज्य में स्थित है। उस समय यह एक बेहद शक्तिशाली और समृद्ध क्षेत्र था, जहां पर लोगों के बीच आपसी प्रेम, भाईचारा था एवं कलात्मक कुशलता कूट-कूट कर भरी हुई थी, इस पर विजय प्राप्त कर सम्राट अशोक अपने सम्राज्य का विस्तार करना चाहता था।

सम्राट अशोक के दादा, सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु आचार्य चाणक्य के ”अखंड भारत” के सपने को पूरा करने के लिए कलिंग को जीतने की कोशिश की थी, लेकिन वह कलिंग को जीतने में नाकामयाब हुए थे, इसलिए कलिंग को जीतना सम्राट अशोक के लिए काफी महत्वपूर्ण था।

कलिंग व्यापार एवं अन्य उद्धेश्यों को पूरा करने के लिए भी काफी महत्वपूर्ण स्थल था। इसकी प्रमुख विशेषता यह थी कि समुद्र और सड़क दोनों मार्गों से दक्षिण भारत को जाने वाले मार्गों पर कलिंग का नियंत्रण था। इसलिए भी सम्राट अशोक कलिंग पर विजय प्राप्त करना चाहते थे।

कलिंग पर विजय प्राप्त करना सम्राट अशोक के लिए इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि यहां से दक्षिण-पूर्वी देशों से आसानी से संबंध स्थापित किए जा सकते थे।

कलिंग के युद्ध होने का यह भी कारण बताया जाता है कि, सम्राट अशोक ने कलिंग के शासक राजा अनंत पदानाभन को एक पत्र भेजा था, जिसमें सम्राट अशोक ने कलिंग राज्य को मौर्य सम्राज्य में मिलाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन इस प्रस्ताव को कलिंग के राजा अनंत पद्धानाभन द्वारा मानने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद सम्राट अशोक ने राजा अनंत पदनाभन के खिलाफ अपनी विशाल सेना के साथ युद्ध कर करने का फैसला लिया था।

इस तरह सम्राट अशोक और कलिंग के राजा अनंत के बीच यह महायुद्ध छिड़ गया था।

कलिंग युद्ध के भयावह परिणाम – Impact Of Kalinga War

इस युद्ध के अत्यंत विनाशकारी परिणाम रहे। इस युद्ध में लाखों बेकसूरों को मरते देख सम्राट अशोक ने शांति और अहिंसा का मार्ग अपना लिया था इस युद्ध के परिणाम इस प्रकार है-

कलिंग युद् के बाद सम्राट अशोक का ह्रदय परिवर्तन एवं मौर्य सम्राज्य का अंत – Impact Of Kalinga War oN Ashoka

कलिंग युद्ध का इतिहास में महत्व – Significance Of Kalinga War

इतिहास में कलिंग युद्ध का अपना अलग महत्व है, इस विध्वंसकारी युद्ध में इतिहास के पूरे कालखंड को ही परिवर्तित कर रख दिया था।

यह भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी, जिसके दूरगामी परिणाम और प्रभाव देखने को मिले। यह युद्ध के सम्राट अशोक के जीवन का आखिरी युद्ध साबित हुआ और कलिंग पर जीत उनकी अंतिम जीत साबित हुई।

कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक का ह्रदय दया, परोपकार एवं करुणा से भर उठा। इसके बाद शांति, सामाजिक प्रगति एवं धार्मिक प्रचार के एक नए युग की शुरुआत हुई।

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