मैथलीशरण गुप्त की जीवनी | Maithili sharan Gupt Biography in Hindi

Maithili sharan Gupt – मैथलीशरण गुप्त भारत के प्रसिद्ध और आधुनिक हिंदी कवियों में से एक है। खरी बोली की कविताओ को लिखने और खरी बोली को उपभाषा मानने वाले वे पहले कवि थे, उन्होंने ये सब उस समय में किया था जिस समय में हिंदी कवि ज्यादातर ब्रज भाषा का उपयोग उपभाषा के रूप में करते थे।

इसके साथ ही वे भारत के तीसरे सर्वोच्च अवार्ड पद्म भूषण से भी नवाजे जा चुके है। उनकी किताब भारत-भारती (1912) आज़ादी के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी, और इसी वजह से महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्रकवि की पदवी भी दी थी।

Maithili sharan Gupt

मैथलीशरण गुप्त की जीवनी / Maithili sharan Gupt Biography in Hindi

उनका जन्म उत्तर प्रदेश के झाँसी के चिरगाँव में गहोई समुदाय के कंकणे वंश में एक समृद्ध ज़मीनदार परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माँ का नाम काशीबाई था।

बाल्यावस्था में उन्हें स्कूल जाना पसंद नही था, इसीलिए उनके पिता ने उन्हें घर पर ही पढ़ाने का इंतजाम कर रखा था। बाल्यावस्था में संस्कृत, इंग्लिश और बंगाली का अभ्यास किया था। उस समय महावीर प्रसाद द्विवेदी उनके विश्वसनीय सलाहकार थे।

साहित्यिक कार्य –

बहुत सी पत्रिकाओ में हिंदी कविताए लिखकर गुप्त ने हिंदी साहित्य में प्रवेश किया था, जिनमे सरस्वती भी शामिल है। 1910 में उनका पहला मुख्य कार्य, रंग में भंग था जिसे इंडियन प्रेस ने पब्लिश किया था। इसके बाद भारत-भारती की रचना के साथ ही उनकी राष्ट्रिय कविताए भारतीयों के बीच काफी प्रसिद्ध हुई, साथ ही जो भारतीय आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे उनके लिए भी यह कविताए काफी प्रेरणादायी साबित हुई।

उनकी ज्यादातर कविताए हमें रामायण, महाभारत और बुद्धा के समय की दिखाई देती है और साथ ही उस समय के प्रसिद्ध इंसानों का चित्रण भी हमें उनकी कविताओ में दिखाई देता है। उनके प्रसिद्ध कार्य, साकेत में हमें रामायण के लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का वर्णन भी दिखाई देता है। साथ ही उनकी दूसरी रचना जैसे, यशोधरा में हमें गौतम बुद्धा की पत्नी यशोधरा का वर्णन दिखाई देता है।

प्रमुख कार्य –

कविताए – साकेत, रंग में भंग
मातृभूमि, भारत-भारती, अयाद्रथ वध, विकट भट, प्लासी का युद्ध, गुरुकुल, किसान, पंचवटी।

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5 thoughts on “मैथलीशरण गुप्त की जीवनी | Maithili sharan Gupt Biography in Hindi”

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  1. Rinku Tiwari

    इस लेख में मुझे एक ही त्रुटि दिखाई दी हैं। वह है “प्रेरनादायी” जबकि उस स्थान पर “प्रेरणादायी” होना चाहिए।

    1. Gyani Pandit

      Rinku Tiwari Ji,

      आपका बहुत-बहुत धन्यवाद्, लेख को अपडेट कर दिया हैं। आप हमसे जुड़े रहे।

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