महादेवी वर्मा एक महान कवियित्री | Mahadevi Verma in Hindi

Mahadevi Verma Biography

महादेवी वर्मा जी हिन्दी साहित्य की एक महान कवियित्री और  सुविख्यात लेखिका थी, उन्हें हिन्दी साहित्य के छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है। महादेवी वर्मा जी ने हिंदी साहित्य जगत में एक बेहतरीन गद्य लेखिका के रुप में अपनी पहचान बनाई थी।

महादेवी वर्मा जी एक विलक्षण प्रतिभा वाली कवियित्री थी, जिन्हें हिन्दी साहित्य के महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने ”सरस्वती” की भी संज्ञा दी थी। इसके अलावा उन्हें आधुनिक युग की ”मीरा” का भी दर्जा दिया गया था, क्योंकि उन्होंने अपनी कविताओं में एक प्रेमी से दूर होने का कष्ट एवं इसके विरह और पीड़ा का बेहद भावनात्मक रुप से वर्णन किया था। महादेवी वर्मा जी एक मशूहर कवियित्री तो थी हीं, इसके साथ ही वे एक महान समाज सुधारक  भी थीं।

उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया था एवं महिला शिक्षा को काफी बढ़ावा दिया था। यही नहीं महादेवी वर्मा जी ने  महिलाओं को समाज में उनका अधिकार दिलवाने और उचित आदर-सम्मान दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम उठाए थे।

इसके साथ ही महादेवी वर्मा जी ने कुछ ऐसी रचनाएं लिखी थीं, जिसमें उन्होंने महिलाओं के प्रति लोगों की संकीर्ण और तुच्छ मानसिकता पर प्रहार किया था एवं समाज में महिलाओं की दयनीय दशा था एवं महिलाओं पर हो रहे अत्याचार एवं शोषण के दर्द को बेहद मार्मिक तरीके से बयां किया था।

महादेवी जी ने अपनी रचना “श्रृंखला की कड़ियां” में भारतीय समाज की महिलाओं की दुर्दशा का भावपूर्ण एवं ह्रद्य को छू जाने वाला वर्णन किया था। आइए जानते हैं  भारतीय साहित्य की इस महान कवियित्री महादेवी वर्मा जी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में  –

Mahadevi Verma in Hindi
Mahadevi Verma in Hindi

महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय – Mahadevi Verma Biography in Hindi

पूरा नाम (Name) महादेवी वर्मा
जन्म (Birthday) 26 मार्च, 1907, फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु (Death) 11 सितम्बर, 1987, प्रयाग, उत्तर प्रदेश (80 साल)
पिता (Father Name) श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा
माता (Mother Name) हेमरानी देवी
पति का नाम (Husband Name) डॉ. रुपनारायण वर्मा
शिक्षा (Education) एम.ए.(संस्कृत)
प्रसिद्ध रचनाएं (Books)
  • स्मृति की रेखाएं,
  • पथ के साथी,
  • अतीत के चलचित्र,
  • दीपशिखा,
  • मेरा परिवार,
  • नीहार,
  • श्रंखला की कड़ियां,
  • नीरजा।

महादेवी वर्मा जी का जन्म एवं शुरुआती जीवन – Mahadevi Verma Story

हिन्दी साहित्य की महान कवियित्री महादेवी वर्मा जी 26 मार्च, साल 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के एक ऐसे परिवार में जन्मी थी, जहां कई सालों से किसी कन्या ने जन्म नहीं लिया था, जिससे उन्हें अपने परिवार वालों का बेहद लाड़-प्यार मिला था और बेहद अच्छे तरीके से उनका पालन-पोषण किया गया था।

वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। महादेवी वर्मा जी के पिता गोविंद प्रसाद वर्मा जी एक जाने-माने शिक्षक थे और वे वकालत भी कर चुके थे, जबकि उनकी माता हेमरानी देवी जी अध्यात्मिक महिला थीं, जो कि ईश्वर की भक्ति में हमेशा लीन रहती थीं और धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में उनकी बेहद रुचि थी।

महादेवी वर्मा जी की पढ़ाई-लिखाई – Mahadevi Verma Education

महादेवी वर्मा जी माता-पिता का ध्यान शुरु से ही शिक्षा की तरफ होने के चलते उन्हें घर पर ही अंग्रेजी, संगीत और संस्कृत की शिक्षा दी गई। साल 1912 में महादेवी वर्मा जी ने इंदौर के मिशन स्कूल से अपने शुरुआती पढ़ाई की। इसके बाद महादेवी वर्मा जी ने इलाहाबाद में क्रास्थवेट कॉलेज में एडमिशन लिया। आपको बता दें कि उनको बचपन से ही लिखने का बेहद शौक था, महज 7 साल की छोटी सी उम्र में ही उन्होंने कविताएं लिखना शुरु कर दिया था।

वहीं जब 1925 में महादेवी जी ने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की तब उनकी कविताओं के चर्चे पूरे देश में होने लगे थे और देश की प्रसिद्ध पत्र – पत्रिकाओं में उनकी कविताएं छपने लगी थीं। और महादेवी जी की लोकप्रियता एक प्रसिद्ध कवियित्री के रुप में फैल गई थी।

इसके बाद 1932 ईसवी में सुविख्यात लेखिका महादेवी जी ने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के मकसद से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एम.ए. की मास्टर डिग्री हासिल की। वहीं उस समय तक उनकी दो प्रसि्द्ध कृतियां रश्मि और नीहार प्रकाशित हो चुकी थीं। जिन्हें पाठकों द्धारा बेहद पसंद किया गया था।

प्रख्यात लेखिका महादेवी वर्मा जी का वैवाहिक जीवन – Mahadevi Verma Marriage

भारतीय समाज में बाल विवाह की प्रथा के तहत महादेवी वर्मा जी के विद्यार्थी जीवन के दौरान ही 1916 ईसवी में उनकी शादी डॉ. स्वरूप नारायण वर्मा से कर दी गई। हालांकि, महादेवी वर्मा जी ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और वे प्रयागराज (इलाहाबाद) में एक हॉस्टल में रहकर पढ़ती रहीं।

जबकि उनके पति स्वरुप नारायण जी लखनऊ मेडिकल कॉलेज में बोर्डिंग हाउस में रहते थे। वहीं महादेवी जी अन्य महिलाओं से थोड़ी अलग थी, सिर्फ उन्हें अपने जीवन में साहित्य से ही प्रेम था, और प्रेम संबंधों और विवाह बंधनों में उनकी कोई खास रुचि नहीं थी। हालांकि, उनके पति के साथ उनके रिश्ते अच्छे थे।

वहीं ऐसा माना जाता है कि महादेवी जी ने अपने पति से कई बार दूसरी शादी करने के लिए भी आग्रह किया था, लेकिन उनके पति ने दूसरी शादी नहीं की। हालांकि अपने पति की मौत के बाद महादेवी जी प्रयागराज (इलाहाबाद) में ही बस गईं थी और फिर उन्होंने अपना पूरा जीवन प्रयागराज में ही व्यतीत किया।

सुविख्यात लेखिका महादेवी जी का साहित्यिक योगदान – Mahadevi Verma Books

महादेवी वर्मा ने  हिन्दी साहित्य में अपनी कई अद्बुत रचनाओं के माध्यम से अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। महादेवी वर्मा जी को हिन्दी साहित्य में उनके शानदार संस्मरण, उत्कृष्ट निबंधों एवं अच्छे रेखाचित्रों के लिए भी जाना जाता है। महादेवी जी के लिखी गईं उनकी उत्कृष्ट और प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं –

महादेवी जी की प्रमुख रचनाएं – Mahadevi Verma Ki Rachnaye

महादेवी वर्मा जी का गद्य साहित्य:

महादेवी वर्मा जी ने गद्य साहित्य में भी  अपनी एक उत्कृष्ट पहचान बनाई, उनके द्वारा रचित कुछ प्रसिद्ध कृतियां इस प्रकार हैं –

  • संस्मरण – मेरा परिवार (1972), पथ के साथी (1956).
  • निबंध – संकल्पिता (1969), श्रंखला की कड़ियाँ (1942).
  • रेखाचित्र – अतीत के चलचित्र (1941) और  स्मृति की रेखाएं (1943).
  • ललित निबंध – क्षणदा (1956)
  • प्रसिद्ध कहानियाँ – गिल्लू
  • संस्मरण, रेखाचित्र और निबंधों का संग्रह – हिमालय (1963)

महान कवियित्री महादेवी वर्मा जी का कविता संग्रह – Mahadevi Verma Poems

महादेवी वर्मा जी द्धारा लिखी हिन्दी पद्य की कुछ मशहूर कविताएं इस प्रकार हैं –

  • दीपशिखा (1942)
  • नीहार (1930)
  • प्रथम आयाम (1974)
  • अग्निरेखा (1990)
  • नीरजा (1934)
  • रश्मि (1931)
  • सांध्यगीत (1936)
  • सप्तपर्णा (अनूदित-1959)

महादेवी वर्मा जी का बाल साहित्य में योगदान – Story by Mahadevi Verma

महादेवी वर्मा जी ने बाल साहित्य में बचपने को अपनी रचनाओं में बखूबी उतारा है, बाल साहित्य में उनके द्धारा लिखित प्रसिद्ध रचनाएं इस प्रकार हैं –

  • आज खरीदेंगे हम ज्वाला
  • ठाकुर जी भोले हैं

इसके अलावा भी महादेवी जी ने कई कृतियां लिखकर हिन्दी साहित्य में अपना अमूल्य योगदान दिया और प्रभावशाली औऱ उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से हिन्दी साहित्य में अपनी एक अलग जगह बनाई। वहीं साहित्य में उनके द्धारा दिए गए अमूल्य योगदान के लिए उन्हें कई पुरुस्कारों से भी सम्मानित किया गया।

महादेवी जी की सुगम भाषा शैली

महादेवी जी बेहद सरल और आसान भाषा में रचनाएं लिखती थी, जो कि पाठकों को बेहद आसानी से समझ में आ जाती हैं। महादेवी जी ने अपनी रचनाओं में हिन्दी के साथ-साथ संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू और बंग्ला शब्दों का भी बेहद शानदार ढंग से इस्तेमाल किया है। वहीं महादेवी जी की भाषा की खासियत संस्कतनिष्ठा है।

इसके साथ ही महादेवी जी ने अपनी रचनाओं में अलंकारों, लोकोक्तियों और मुहावरों का भी इस्तेमाल किया है। इस तरह महादेवी जी ने अपनी रचनाओं में आलंकारिक, विवेचनात्मक, भावनात्मक, व्यंगात्मक, एवं वर्णानात्मक शैली समेत अन्य कई भाषा शैली का इस्तेमाल कर अपनी रचनाओं को हिन्दी साहित्य में एक अलग स्थान दिलवाया है।

कभी बनी अध्यापिका तो कभी समाज सुधारक के रुप में किया काम – Mahadevi Verma Works

महादेवी वर्मा जी एक अच्छी शिक्षिका भी रह चुकी थीं, उन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में एक शिक्षिका के तौर पर काम किया था। इसके साथ वे प्रयाग महिला विद्यापीठ में कुलपति के पद पर भी रह चुकीं थी। इसके अलावा महादेवी वर्मा जी एक महान समाज सुधारिका भी थीं, उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की दयनीय दशा को सुधारने और उनको समाज में उचित दर्जा दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए।

महादेवी जी ने अपनी कृतियों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और दुर्दशा का बेहद मार्मिक वर्णन किया है। इसके साथ ही उन्होंने पहला महिला कवि सम्मेलन भी शुरु किया था। भारत का पहला महिला कवि सम्मेलन महिला विद्यापीठ में आयोजित किया गया था। इसके अलावा महादेवी वर्मा जी बौद्ध धर्म के उपदेशों से बेहद प्रभावित थी।

उनकी इस धर्म के प्रति अटूट आस्था थी। यही नहीं महादेवी वर्मा जी ने देश की आजादी के लिए चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

महादेवी वर्मा जी को सम्मान और पुरस्कार – Mahadevi Verma Awards

महादेवी वर्मा जी को  साहित्य में उनके महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। महादेवी वर्मा जी को मिले सम्मान और पुरस्कार इस प्रकार हैं –

  • महादेवी वर्मा जी को साहित्य में अपूर्व योगदान के लिए साल 1988 में मरणोपरांत भारत सरकार ने पदम विभूषण की उपाधि से नवाजा गया था।
  • महादेवी वर्मा जी को साल 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • साल 1956 में हिन्दी साहित्य की महान लेखिका महादेवी वर्मा जी को पद्म भूषण से नवाजा गया।
  • साल 1979 में महादेवी वर्मा को साहित्य अकादेमी फेल्लोशिप से नवाजा गया, जिसके चलते वे साहित्य अकादमी की फेलो बनने वाली पहली महिला बनीं।

इसके अलावा महादेवी वर्मा जी को साल 1934 में सेकसरिया पुरस्कार, 1942 में द्विवेदी पदक, 1943 भारत भारती पुरस्कार, 1943 में ही मंगला प्रसाद पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

महादेवी वर्मा जी की मृत्यु – Mahadevi Verma Death

हिन्दी साहित्य की युग प्रवर्तक मानी जाने वाली महान लेखिका महादेवी वर्मा जी ने अपने पूरे जीवन भर इलाहाबाद में रहकर साहित्य की साधना करती रहीं। उन्होंने अपनी कविताओं में न सिर्फ भारतीय समाज में महिलाओं की दुर्दशा को चित्रित किया बल्कि उन्होंने समाज में दलित, गरीब और जरूरतमंदों से जुड़े कई मुद्दों को उठाया और वे 11 सितंबर साल 1987 में यह दुनिया छोड़कर चल बसीं।

इस तरह महादेवी वर्मा जी ने अपनी दूरदर्शी सोच और महान विचारों एवं सृजनात्मक लेखन शैली के जरिए हिन्दी साहित्य में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। वहीं उनकी लेखन प्रतिभा को देखते हुए हिन्दी साहित्य के महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी भी खुद को महादेवी जी की प्रशंसा करने से नहीं रोक पाए और उन्होंने महादेवी जी को साहित्य की सरस्वती की संज्ञा दी।

इसके अलावा भी महादेवी जी के अद्भुत व्यक्तित्व और उनकी विलक्षण प्रतिभा को देखकर कई महान रचनाकार और लेखक प्रभावित हुए और उन्हें ‘साहित्य साम्राज्ञी’, समेत अलग-अलग नामों की संज्ञा देकर उनकी महानता का बखान किया। महादेवी जी का साहित्य और भाषा के विकास में योगदान हमेशा याद रहेगा।

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