उत्तराखंड का एक अनोखा मंदिर “कैचीं धाम” जहाँ फेसबुक और एप्पल के मालिक हुए नतमस्तक!

Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham

आपने भारत के कई ऐतिहासिक मंदिरों और धामों के बारे में सुना होगा जिनसे जुड़ी पंरपराएँ और आस्था अचंभित करने वाली है लेकिन क्या आप जानते है इन मंदिरों में एक ऐसा भी मंदिर है जिस पर केवल भारतीयों को ही नहीं दुनियाभर के लोगों को यकीन है हम बात कर रहे है उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित कैंची धाम – Kainchi Dham की।

जहां पर दुनिया की सबसे मशहूर कंपनी एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स से लेकर आज के समय सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया साइट फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग तक दर्शन के लिए आ चुके है। और इस मंदिर की ताकत को समझते है। लेकिन कैंची धाम कैसे बसाया गया क्या है इसका पूरा इतिहास चलिए आपको बताते है।

Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham
Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham

उत्तराखंड का एक अनोखा मंदिर “कैचीं धाम” जहाँ फेसबुक और एप्पल के मालिक हुए नतमस्तक – Neem Karoli Baba Ashram Kainchi Dham

नैनीताल अल्मोड़ा रोड पर स्थित कैंची धाम बाबा नीम कैरोली – Neem Karoli Baba का तपोस्थल था। जिन्होनें क्षिप्रा नाम की पहाड़ी नदी के किनारे साल 1962 में कैंची धाम की स्थापना की थी। माना जाता है कि नीम कैरोली बाबा के पास कुछ आध्यात्मिक शक्ति थी जिसे वो लोगों को सही रास्ता बताने में मदद करते थे।

धाम की स्थापना के बाद उनके एक अमेरिकी भक्त राम दास ने उन पर एक किताब लिखी थी। जिसके बाद से दुनियाभर के देशों का आकर्षण कैंची धाम की ओर बढ़ा।

बाबा नीम करोली का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद स्थित एक नीम करौली नामक गांव में हुआ था इसलिए उन्होनें अपना नाम भी नीम करौली ही रख लिया। नीम करोली के आश्रम में आने वाले विदेशियों में सबसे ज्यादा लोग अमेरिका के है शायद इसलिए क्योंकि उन पर राम दास की किताब का प्रभाव पड़ा होगा जिसने उन्हें यहां आने के लिए प्रेरित किया लेकिन आजतक कोई भी यहां से खाली हाथ नहीं गया।

कैंची धाम में नीम करोली बाबा से मिलने आए लोगों में सबसे पहला नाम एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स का है। स्टीव जॉब्स की जिंदगी की कष्टभरी थी। ये हम सब जानते है। माना जाता है कि स्टीव जॉब्स अपने दोस्तों के साथ आध्यात्मिक ट्रिप पर भारत आए थे जब उन्होनें कैंची धाम में नीम करोली बाबा के दर्शन किए थे। और उसकी के बाद वापस लौटकर एप्पल की स्थापना की थी।

यहां पर ये नहीं कहा जा सकता कि स्टीव जॉब्स को नीम करोली बाबा ने आर्शीवाद दिया और वो कामयाब गए। लेकिन ये जरुर कहा जा सकता है कि यहां पर स्टीव जॉब्स को अध्यात्म की प्राप्ति हुई जिसे उन्होनें अपने जीवन में रास्ते बनाने की हिम्मत मिली। और इस बात को खुद स्टीव जॉब्स ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि वैज्ञान और अध्यात्म दोनों ही उनके लिए जरुरी है क्योंकि अध्यात्म ही है जो उन्हें रास्तों का चुनाव करने में मदद करता है।

स्टीव जॉब्स के बाद जो अंतराष्ट्रीय बिजनेसमैन यहां आए वो है फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग। जिस समय फेसुबक घाटे में चल रही थी। उस समय मार्क जुगलबर्ग यहां आए थे। हालांकि नीम करोली बाबा की मृत्यु साल 1973 में हो गई थी लेकिन कैंची धाम में समाधि बनाई गई है जिसके दर्शन मार्क जुगलबर्ग में किए थे।

और जैसा कि आप सभी जानते ही है आज के समय में मार्क जुगलबर्ग दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी बन चुके है। ऐसे ही कुछ तथ्य है जो यहां आने वाले लोगों में इस धाम के प्रति आस्था ओर भी मजबूत कर देते है।

आपको बता दें कैंची धाम नीम करोली बाबा की समाधि के अलावा पांच देवी देवताओं की मूर्तियां भी है जिनमें हनुमान जी की मूर्ति काफी भव्य है। शायद इसलिए क्योंकि नीम करोली बाबा को हनुमान का अवतार माना जाता था।

यहां आ चुके बड़े बड़े नामों में पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी, अँग्रेज जनरल मकन्ना, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जैसे नाम शामिल है। अगर आसान भाषा में कहा जाए तो ये मंदिर शायद इसलिए इतना प्रचलित है क्यों कि यहां आकर अपनी जिंदगी में अलग – अलग दुविधाओं से गुजर रहे लोगों को एक विजन मिल जाता है।

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7 thoughts on “उत्तराखंड का एक अनोखा मंदिर “कैचीं धाम” जहाँ फेसबुक और एप्पल के मालिक हुए नतमस्तक!”

  1. धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा आपका ये रिसर्च काफ़ी अच्छा है

    1. Editorial Team

      शुक्रिया इस पोस्ट को पढ़ने के लिए, भारत कई ऐतिहासिक मंदिरों और धर्मों से भरा पड़ा है इससे जुड़ी परंपराएं और आस्था अचंभित करने वाली है, उन्हीं में से एक ही उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित कैची धाम का मंदिर जिसमें दुनिया की सबसे मशहूर शख्सियत स्टीव जॉब्स और फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग भी मत्था टेक चुके हैं।

    1. Editorial Team

      धन्यवाद राहुल जी इस लेख को पढ़ने के लिए, वाकई “कैचीं धाम”, एक ऐसा धार्मिक स्थल है, जहां से कई धर्मों की मान्यताएं जुड़ी हुईं हैं।

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