भक्तों के आस्था का प्रतीक शेगाव के संत गजानन महाराज का मंदिर

Shegaon Gajanan Maharaj Temple

महाराष्ट्र में कई देवी, देवता और ऋषि मुनी और संतो के मंदिर दिखाई देते है। यहापर कई सारे संतो के मंदिर बनाये गए है जैसे की शिर्डी के साईं बाबा, स्वामी समर्थ और शेगाव के संत गजानन महाराज। आज यहापर हम आपको शेगाव के संत श्री गजानन महाराज मंदिर के बारे में विस्तार से बताने वाले है।

संत गजानन महाराज के मंदिर – Shegaon Gajanan Maharaj Temple की सबसे खास बात हम आपको बताने वाले है क्यों की पुरे भारत में इस मंदिर की तरह कोई भी मंदिर नहीं है। संत गजानन महाराज का मंदिर जमीन के अन्दर है यानि की महाराज के दर्शन करने के लिए भक्तों को सुरंग के अन्दर जाना पड़ता है। जब कोई भक्त सुरंग में जाकर गजानन महाराज के दर्शन करता है तो वह क्षण उस भक्त को जीवन में हमेशा के लिए याद रहता है। इस मंदिर से जुडी और भी खास बाते है उन्हें जानने के लिए निचे दी गयी जानकारी को विस्तार से पढ़े।

भक्तों के आस्था का प्रतीक शेगाव के संत गजानन महाराज का मंदिर – Shegaon Gajanan Maharaj Temple

Shegaon Gajanan Maharaj Temple
Shegaon Gajanan Maharaj Temple

शेगाव के संत गजानन महाराज का मंदिर – Gajanan Maharaj Temple

श्री  संत गजानन महाराज का मंदिर महाराष्ट्र के शेगाव में स्थित है। श्री संत गजानन महाराज 19 वी सदी के आखरी में और 20 वी सदी के शुरुवात में शेगाव में रहते थे। संत गजानन महाराज बुलडाना जिले के शेगाव में रहते थे और उन्होंने 8 सितम्बर 1910 को इसी गाव में समाधी ली थी। इस गाव में में संत गजानन महाराज का बहुत बड़ा और भव्य मंदिर बनाया गया है। महाराष्ट्र के प्रत्येक गाव में संत गजानन महाराज का मंदिर दिखाई देता है।

श्री संत गजानन महाराज समाधी मंदिर गाव में बिलकुल बिच में स्थित है और मंदिर में प्रवेश करने के लिए उत्तर और दक्षिण दिशा में दो प्रवेशद्वार बनाये गए है।

संत गजानन महाराज की आत्मा बहुत ही पवित्र आत्मा थी। उनका मूल नाम तो किसी को पता नहीं और उन्होंने इस अवतार में हजारों लोगो के जीवन में बदलाव लाया। उन्होंने लोगो को अध्यात्म का ज्ञान दिया। संत गजानन महाराज ने 32 वर्ष के के जीवन में पहले ही बता दिया था की वे सन 1908 में समाधी लेने वाले है और उन्होंने यह भी बता दिया था की वे किस जगह पर समाधी लेने वाले है।

संत गजानन महाराज आज भी समाधी के रूप में शेगाव में स्थित है। गजानन महाराज की समाधी यहाँ के सुरंग में रखी गयी है जिसे ‘संजीवन काया’ कहा जाता है और महाराज का मंदिर इस सुरंग में होने के कारण और भी आकर्षक लगता है। इस मंदिर को बनाने में श्री हरी पाटिल का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

जो कोई भी गजानन महाराज के दर्शन करने के लिए आता है उसे गजानन महाराज का आशीर्वाद जरुर मिलता है और फिर उसकी कोई भी परेशानी हो वह हमेशा के लिए ख़तम हो जाती है।

सभी संत श्री क्षेत्र पंढरपुर (वारकरी संप्रदाय के सभी लोग दिंडी में हर साल अपने भगवान विट्ठल और रखुमाई से मिलने के लिए पंढरपुर आते है) जैसे पवित्र जगह पर जाना पसंद करते है तो उनके लिए शेगाव एक बहुत ही अच्छा तीर्थस्थल है।

जितने भी संत होते है उनका स्वभाव बहुत ही सरल होता है। वे किसी के साथ भी धर्म, जाती के नाम पर भेदभाव नहीं करते। वे तो हमेशा अपने भक्तों को सही राह पर चलना सिखाते थे। सच्चा गुरु वही होता है जो लोगो को बुरे कर्म छोड़कर अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। जो बहुत ही पवित्र और निर्मल जीवन जीते है वही संत होते है और सच्चा भक्त वो होता है जिसका अपने गुरु पर पूरा विश्वास होता है।

संत श्री गजानन महाराज का मंदिर की वास्तुकला – Gajanan Maharaj Mandir

संत श्री गजानन महाराज का मंदिर बहुत ही सुन्दर है और इसे बनाने के लिए आकर्षक संगेमरमर पत्थरो का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर को कुछ इस तरह बनाया गया है की कोई मंदिर के बाहर से भी संत गजानन महाराज के दर्शन कर सकता है और इस दर्शन को मुख दर्शन कहा जाता है।

इस मुख दर्शन में कोई भी भक्त मंदिर के बाहर से ही गजानन महाराज की मूर्ति को दूर से ही देख सकता है। और जिन्हें महाराज को करीब से दर्शन लेना होता है वे सुरंग में से जाकर दर्शन कर सकते है। महाराज की जिस जगह पर मूर्ति है वहा के गर्भगृह में अच्छी खासी जगह है जहापर भक्त खड़े होकर गजानन महाराज से प्रार्थना कर सकते है और आराम से दर्शन भी कर सकते है। इस मंदिर के उपरी हिस्से में देवी और देवताओ की बहुत सारी सुन्दर मुर्तिया भी बनायी गयी है।

संत श्री गजानन महाराज का मंदिर इस शहर की अलग पहचान है। इस शहर को सभी लोग गजानन महाराज मंदिर के लिए विशेष रूप से जानते है।

श्री राम मंदिर:

सुरंग में एक बार गजानन महाराज के दर्शन करने के बाद में भक्त सुरंग के ऊपर बनाये गए भगवान श्री राम के मंदिर में प्रवेश करता है और वहापर उसे श्री राम के दर्शन करने का अवसर मिलता है। इस तरह से भगवान के दर्शन करने के पीछे बहुत बड़ा कारण है। क्यों की कभी भी भगवान के राज्य में जाने के लिए केवल गुरु ही रास्ता दिखाता है उसी तरह यहापर भी गजानन महाराज श्री राम के राज्य में जाने के पहले अपने भक्तों को रास्ता दिखाते है, उनका मार्गदर्शन करते है।

इसी वजह से पहले संत श्री गजानन महाराज के दर्शन किये जाते है और बाद में फिर प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के दर्शन किये जाते है। प्रभु श्री राम के मंदिर के कुछ हिस्से को सोने के पत्तो से सजाया गया है और कुछ हिस्से में सोना और अन्य चीजो से सजाया गया है।

इस मंदिर में संत गजानन महाराज की पादुका भी रखी गयी है एक समय में गजानन महाराज इन पादुकाओं को पहना करते थे। इसके अलावा इस मंदिर में गजानन महाराज की चांदी से बनी हुई मूर्ति भी रखी गयी है जिसे पालखी के अवसर पर भक्तों के दर्शन के लिए बाहर निकाला जाता है।

सभा मंडप:

गजानन महाराज के दर्शन करने के बाद में जब कोई भक्त श्री राम के दर्शन करता है तो वहापर एक  भक्तों को बैठने के लिए एक बहुत ही बड़ा भवन बनाया गया है। इस भवन के जो स्तंभ बनाये गए है सभी बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है। इन सभी स्तंभ पर बहुत ही सुन्दर नक्काशी का काम किया हुआ है।

इस भवन की सबसे खास बात यह है की इस भवन के चारो और दीवारों पर संत गजानन महाराज की तस्वीरे लगायी गयी है। इन तस्वीरों में गजानन महाराज ने जीवन में जितने भी चमत्कार किये थे उन सभी को तस्वीरों के माध्यम से बताने की कोशिश की गयी है। श्री गजानन विजय ग्रंथ में जितने भी 21 अध्याय बताये गए है उन सभी को यहापर तस्वीरों के जरिये बताया गया है।

इस भवन के सभी स्तंभ बहुत पुराने होने के बाद भी काफी आकर्षक बनाये गए है। इस भव्य भवन के साथ में प्रभु श्री राम का मंदिर तो है ही लेकिन साथ में श्री राम के परम भक्त भगवान हनुमानजी का मंदिर भी है।

श्री के मंदिर का स्थान – Gajanan Maharaj Temple Shegaon

बहुत पुराने समय में इस शहर की स्थापना श्रुन्गमुनी ऋषि ने की थी इसीलिए इसे श्रुंग गाव भी कहा जाता था। यहापर भगवान शिव का एक बड़ा मंदिर होने की वजह से भी इसे शिवगाव नाम से भी जाना जाता था। लेकिन बाद में इसके नाम में बदलाव करके शेगाव नाम रखा गया।

संत श्री गजानन महाराज इस गाव में रहते थे और इसी जगह पर उन्होंने समाधी ली थी इसीलिए शेगाव सबसे अधिक जाना जाता है। संत गजानन महाराज अपनी अद्भुत शक्तियों के साथ इस गाव में आये थे और उन्होंने आने के बाद इस गाव को पूरी तरह से बदल दिया था।

जीन लोगो के जीवन में परेशानिया थी उनको गजानन महाराज ने दूर करके उन लोगो के जीवन में खुशिया लायी थी और उन्हें अध्यात्म के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन किया था।

संत श्री गजानन महाराज संस्थान का इतिहास – Gajanan Maharaj Sansthan Shegaon

एक बार संत गजानन महाराज ने गाव के लोगो को बता दिया था की किस जगह पर उनकी समाधी होनी चाहिए तो तभी कुछ लोगो ने सामने आकर एक ट्रस्ट की निर्मिती की। उस समय उनके ट्रस्ट में केवल 12 लोग थे। 12 सितम्बर 1908 को उन्होंने इस ट्रस्ट की स्थापना की थी।

सबसे खास बात यह है की इस ट्रस्ट और संस्थान की निर्मिती संत गजानन महाराज के सामने ही हुई थी। उन्होंने समाधी की जगह भी बताई थी और साथ में उन्होंने यह भी कहा था की ‘या जगी राहिल रे’। इसका मतलब यह था की वे हमेशा के लिए हमारे साथ ही रहेंगे।

गजानन महाराज के कहने पर 12 सितम्बर 1908 को नारायण कडताजी पाटिल के किराने की दुकान में एक सभा आयोजित की गयी थी। इस सभा में गाव के सभी लोग, गजानन महाराज के भक्त और सभी बेपारी मौजूद थे। इस सभा में खुद गजानन महाराज भी थे। कुछ बातचीत करने के बाद संस्थान की पहली कार्यकारी समिति स्थापित की गयी।

गजानन महाराज का समाधी मंदिर बनाने के लिए वाडेगाव और बालापुर से काले पत्थर को मंगवाया गया था। बालापुर शेगाव से केवल 30 किमी की दुरी पर स्थित है। महाराज के समाधी मंदिर को अच्छे से बनाने के लिए नागपुर से कुछ खास राजमिस्त्री को बुलाया गया था। किसन मिस्त्री और खंडू मिस्त्री को नागपुर से बुलाया गया था क्यों की उस समय में दोनों भी बहुत अच्छे तरह से मिस्त्री का काम करते थे।

उन दोनों ने पूरी लगन से और मेहनत करके बहुत ही खास मंदिर का निर्माण किया था। गजानन महाराज के समाधी के 100 वर्ष पुरे होने के अवसर पर मंदिर को पुनर्निर्मित किया गया था और इस दौरान संगमरमर पत्थरो का भी इस्तेमाल किया गया था।

जब पहली बार ट्रस्ट की सभा हुई थी और उसमे गजानन महाराज ने जीन नियमो को बताया था उनका  आज भी पूरी तरह से पालन किया जाता है।

लोगो की सेवा करना ही इस गजानन महाराज मंदिर की परंपरा है।

शेगाव गजानन महाराज मंदिर उत्सव – Gajanan Maharaj Shegaon Festival

23 फरवरी 1878 (माघ महीने का 7 वा दिन शक संवत 1800) को पहली बार गजानन महाराज शेगाव में पधारे थे। जिस दिन संत गजानन महाराज शेगाव में आये थे उस दिन के अवसर पर शेगाव में श्री प्रगट दिन उत्सव मनाया जाता है। इस पावन पर्व पर मंदिर में कई तरह की पूजा का आयोजन किया जाता है।

इस दौरान माघ वद्य प्रतिपदा से सप्तमी तक कई तरह के त्यौहार इस मंदिर में मनाये जाते है। महारुद्र स्वाहाकार, प्रकट दिन के अवसर पर सुबह 10 बजे याग पूर्णाहुति और अवभृत स्नान, सुबह 10 बजे से 12 बजे तक कीर्तन का आयोजन किया जाता है। जब दोपहर के 12 बजते है उस वक्त प्रगट दिन उत्सव मनाया जाता है।

शेगाव स्थित गजानन महाराज समाधी मंदिर में आज लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते है। जो भी भक्त एक बार शेगाव में आता है और जब गजानन महाराज के दर्शन करता है तो उसके सारे दुःख दर्द दूर हो जाते है, उसकी सारी परेशनिया ख़तम हो जाती है और संत गजानन महाराज की कृपा उसपर हमेशा के लिए बनी रहती है।

गजानन महाराज के मंदिर में कई तरह के त्यौहार मनाये जाते है। जिस दिन प्रगट दिन होता है उस अवसर पर शेगाव में भक्तों की बड़ी भीड़ देखने को मिलती है। इस पावन पर्व पर बहुत सारी धार्मिक पूजा का आयोजन किया जाता है। लोग कई तरह के यज्ञ करते है।

इस मौके पर गजानन महाराज की पालखी निकाली जाती है। भक्त इस पालखी के दर्शन करते है। जो भी संत गजानन महाराज का भक्त है उसने कम से कम एक बार शेगाव आकर गजानन महाराज के दर्शन जरुर करने चाहिए।

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