वादाक्कुन्नाथान मंदिर का इतिहास | Vadakkunnathan Temple History

वादाक्कुन्नाथान मंदिर – Vadakkunnathan Temple

हमारे आसपास कई करे मंदिर दिखाई देते है। मंदिरों में हम अधिकतर भगवान शिव के मंदिर ज्यादा देखते है। केरल के थ्रिसुर शहर में भी भगवान शिव का एक मंदिर है। इस मंदिर का नाम वादाक्कुन्नाथान मंदिर है। इसी अविश्वसनीय मंदिर की सारी जानकारी निचे दी गयी है।

Vadakkunnathan Temple

वादाक्कुन्नाथान मंदिर का इतिहास – Vadakkunnathan Temple History

ऐसा माना जाता है की यह भगवान शिव का पहला मंदिर है जिसे खुद भगवान परशुराम ने बनवाया था। भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छटे अवतार थे।

इस मंदिर की एक और खास बात यह भी है की इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया जा चूका है। इस मंदिर को ठेन्कैलासम मंदिर और वृषभचलम मंदिर नाम से भी जाना जाता है।

श्री वादाक्कुन्नाथान मंदिर (भगवान शिव), भगवान शंकराचार्य मंदिर और भगवान राम मंदिर, इस मंदिर के सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है।

देवी पार्वती की भी यहापर पूजा की जाती है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है की यहापर भगवान को कई सालों से घी चढ़ाया जाता है लेकिन यह घी गर्मी के दिनों में भी पिघलता नहीं।

ऐसा माना जाता है की अगर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ घी पिघलना शुरू हो जाता है तो कुछ ना कुछ बड़ी मुसीबत जरुर आती है।

वादाक्कुन्नाथान मंदिर की वास्तुकला – Vadakkunnathan Temple Architecture

इस मंदिर को केरल की पारंपरिक वास्तुकला में बनवाया गया है और यह मंदिर थ्रिसुर शहर के एक पहाड़ी पर स्थित है। 9 एकर की जमीन पर फैला हुआ यह मंदिर किसी को भी बड़ी आसानी से दिख जाता है इसीलिए यहाँ से गुजरनेवाला कोई भी इन्सान इस मंदिर की और अपने आप आकर्षित हो जाता है।

इस मंदिर के चारो दिशा में प्रवेश द्वार बनवाये गए है जिन्हें स्थानीय भाषा में गोपुरम कहा जाता है। इस मंदीर में मुरल शैली में महाभारत के चित्र बनवाये गए है जिनमे वासुकीशयन और न्रिथानाथा दिखाई देते है और उनकी हर रोज पूजा की जाती है।

मुरल के अलावा भी इस मंदिर में एक संग्रहालय है जिसमे बहुत सारी पुराणी पेंटिंग, लकड़ी पर बनाये हुए नक्काशी और बहुत कुछ पुराणी चीजे देखने को मिलती है।

इस मंदिर के परिसर में नाट्य भवन भी है जिसे कूथाम्बलम कहा जाता है और इसमें लकड़ी पर बनाये हुए शब्दचित्र दिखाई देते है। इस नाट्यभवन में केरल की सभी कला का प्रदर्शन किया जाता है और उसमे कूथु, कूदियात्तम और नंग्यर कूथु को भी दिखाया जाता है।

वादाक्कुन्नाथान मंदिर में मनाये जानेवाले त्यौहार – Vadakkunnathan Temple Festival

शिवरात्रि के त्यौहार पर मंदिर में रोशनाई की जाती है इस पर्व पर यहाँ लाखों दिए जलाये जाते है और इसे “लक्षदीपम” कहा जाता है।

यहाँ एक त्यौहार हाथीयो के लिए भी मनाया जाता है और उस दिन हाथियों को भोग लगाया जाता है और इस त्यौहार को अनायुट्टू कहा जाता है। यह मंदिर ‘थ्रिसुर पूरम त्यौहार’ में हिस्सा नहीं लेता लेकिन यह त्यौहार इस मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

केरल के थ्रिसुर में बसा यह मंदिर काफी साल पहले बनाया गया था। कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण किसी इन्सान ने नहीं किया था बल्की इसका निर्माण खुद भगवान विष्णु ने कराया था।

एक बार भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था। इस अवतार को लेने के बाद भगवान परशुराम ने कई मंदिरों का निर्माण करवाया था।

मगर इस मंदिर की सबसे खास बात यह भी है की जब भगवान परशुराम ने भगवान शिव के मंदिर बनाने शुरू किये तो उन सबमे उन्होंने सबसे पहले इस मंदिर को बनवाया था।

उन्होंने सबसे पहले इसी मंदिर को बनाया था और इसके निर्माण के बाद अन्य मंदिर बनाये थे। इसी वजह से भी इस मंदिर को अहम माना जाता है।

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