गोवा का एक प्रसिद्ध चर्च बेसीलिका ऑफ बोम जीसस | Basilica of Bom Jesus

Basilica of Bom Jesus

दुनिया में कई सारे धर्म, जाती, पंथ और संप्रदाय के लोग रहते है। हर धर्म की अलग अलग सिख, नियम होती है और उस धर्म से जुड़े लोग उन नियमो का पालन भी करते है। हिन्दू धर्म में मंदिर, इस्लाम में मश्चिद और ख्रिश्चन धर्म में लोग चर्च में जाते है। मंदिरों और मश्चिद की तुलना में चर्च बहुत ही अलग होते है। चर्च में जाते ही हमें सबसे पहले वहा पर जीजस और होली क्रोस के दर्शन होते है।

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गोवा का एक प्रसिद्ध चर्च बेसीलिका ऑफ बोम जीसस – Basilica of Bom Jesus

हमारे देश में गोवा एक ऐसी जगह है जहापर चर्च है और उस चर्च की खास बात यह है की वहापर गॉड जीजस को छोटे बच्चे के रूप में दिखाया गया है। आज गोवा के इसी बासिलिका चर्च के बारे में हम आपको जानकारी देनेवाले है और इस चर्च की विस्तृत जानकारी निचे दी गयी है।

बोम जीजस बासिलिका गोवा का एक प्रसिद्ध चर्च है पूरी दुनिया के ख्रिश्चन धर्म के लोग इस चर्च का बेहद सम्मान करते है वास्तुकला के नजर से देखे तो इस चर्च को मिसाल के तौर पर देखा जा सकता है। ख्रिश्चन लोगो के वास्तुकला की सादगी और भव्यता का इससे अच्छा उदाहरण कुछ हो ही नहीं सकता।

पुराने गोवा का यह बोम जीजस बासिलिका चर्च पणजी से पूर्व दिशा में 10 किमी की दुरी पर स्थित है और इसे विश्व विरासत स्मारक सूची में भी शामिल किया जा चूका है।

बेसीलिका ऑफ बोम जीसस चर्च का इतिहास – Basilica of Bom Jesus History

इस बड़े और शानदार चर्च को बनाने की शुरुवात 24 नवम्बर 1594 में की गयी थी और इस चर्च के निर्माण में मार्गदर्शन करने का काम गोवा के आर्चबिशप अलेक्सिआ डे मेनेज़ेस ने किया था। 15 मई 1605 में इस चर्च का निर्माण पूरी तरह से हो चूका था। सन 1946 में इस चर्च को छोटा बासिलिका का दर्जा भी दिया गया था।

लेकिन सन 1759 में आर्डर ऑफ़ जीजस को कुचल दिया गया और पोर्तुगीज ने इसके सारी जायदाद पर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन उसके बाद भी लोगो के लिए चर्च को खुला रखा गया।

बेसीलिका ऑफ बोम जीसस चर्च की वास्तुकला – Basilica of Bom Jesus Architecture

गोवा का यह चर्च बरोक वास्तुकला का सबसे उत्तम उदाहरण है। इस चर्च को सभी ‘बोम जीजस’ नाम से बुलाते है इसका मतलब होता है की ‘अच्छा जीजस’ या फिर ‘छोटा जीजस’। इस चर्च में शुरुवात में एक मुहर दिखाई देती है जिसपर ग्रीक भाषा में जीजस के लिए ‘’एच आई एस’’ तीन शब्द लिखे गए है।

इस चर्च के मुखौटे को काले ग्रेनाइट से दोरिक और कोरिंथियन शैली में बड़ी सुन्दरता और सादगी से बनाया गया है।

इसकी लम्बाई 183 फीट, चौड़ाई 55 फिट और उचाई 61 फिट है। इस चर्च की जो मुख्य वेदी है उसकी उचाई 54 फीट और चौड़ाई 30 फीट है। इस चर्च में जितने भी स्तंभ बनाये गए उन्हें बेसाल्ट से बनाया गया और इन सभी बेसाल्ट को 300 किमी दुरी पर स्थित बेसिन से लाया गया था। इस चर्च का जो अंदरूनी हिस्सा है उसे मोसैको कोरिंथियन शैली में बनाया गया था।

इस चर्च के छत को खपरैल से बनाया गया था। इस चर्च को सलीब के आकार में बनाया गया है। कुछ ही दिनों पहले इस चर्च के उत्तरी दिशा में उडती हुई तितलिया बनायीं गयी है। इस चर्च के दक्षिण दिशा में बनाये गए एक भवन की वजह से यह चर्च ‘प्रोफ़ेस हाउस’ से जुड़ चूका है।

इस चर्च का तीन मंजिली में बना हुआ मुखौटा आयनिक, दोरिक और कोरिंथियन शैली में बनाया गया है और इसके सामने एक बड़ा प्रवेशद्वार है जिसके सामने दो छोटे छोटे कोरिंथियन शैली में बनाये गए स्तंभ देखने को मिलते है। इस चर्च में दो पूजास्थल, एक मुख्य वेदी और गाना बजाने वालों का अलग भाग बनाया गया है। पिछ्ले हिस्से में घंटाघर भी है।

चर्च में अन्दर जाने के बाद गाना गाने की जगह के दाये में सैंट अन्थोनी की मूर्ति है और बाये में नक्काशी की लकड़ी में बनी हुई सैंट फ्रांसिस ज़ेवियर की मूर्ति है। चर्च के उत्तर दिशा में कोचीन के कप्तान डॉम जेरोनिमो मस्कारेन्हास की कब्र है जिन्होंने इस चर्च को बनाने के लिए बड़ी मात्रा में दान दिया था। उनकी मृत्यु सन 1593 में हुई थी।

गाना गाने की जगह पर पोर्तुगीज और लैटिन भाषा में इस चर्च की सारी जानकारी लिखी गयी है जिसमे इस चर्च का निर्माण का वर्णन भी किया गया है।

उस कब्र के बिलकुल विरुद्ध दिशा में दक्षिण की और लकड़ी से बना हुआ मंच है और उसकी सुरक्षा के लिए उसके ऊपर छत भी बनाया गया है। मंच के तीनो दिशा मे जीजस की मुर्तिया, चार प्रसारक और चर्च के चार डॉक्टर की मुर्तिया है। मंच के निचले हिस्से मे और भी सात मुर्तिया है।

चर्च के मुख्य वेदी के दोनों दिशा में दो अन्य मुर्तिया भी है उसमे से पहली आवर लेडी ऑफ़ होप की है और दूसरी सैंट माइकल की है।

इस चर्च के जीजस छोटे बच्चे के रूप में होने के कारण उनकी मूर्ति और भी सुन्दर दिखती है और उनकी मूर्ति के भी ऊपर की दिशा में सैंट इग्नेशियस लोयोला की मूर्ति है जिन्हें आर्डर ऑफ़ जीजस का संस्थापक माना जाता है।

चर्च में एक पदक पर जीजस के लिए एच आई एस लिखा हुआ दिखाई देता है और उस पदक के भी ऊपर की दिशा में पिता, माता और होली घोस्ट इन त्रिमूर्ति को दर्शाया गया है। चर्च के उत्तरी दिशा में पूजास्थल की भी व्यवस्था की गयी है।

चर्च में दक्षिण दिशा में एक पूजास्थल है जहापर सैंट फ्रांसिस ज़ेवियर के शरीर के पवित्र अवशेष रखे गए है। इस जगह पर नक्काशी की लकड़ी और पेंटिंग्स के माध्यम से सैंट के जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाये दिखाई गयी है।

उनकी कब्र के सामने के एक चांदी की बनाई हुई मूर्ति है। उनकी कब्र का ऊपर का हिस्सा भी पूरी तरह चांदी से बना हुआ है और सैंट फ्रांसिस ज़ेवियर की कब्र में कुछ मौल्यवान रत्न भी रखे गए है। हर दिशा में उनकी कब्र को सात पैनल में अलग किया गया है और उसमे से हर पैनल में दो प्लेट्स पर उनकी जिंदगी की घटनाये दिखाई गयी है।

सैंट फ्रांसिस ज़ेवियर के पूजास्थल के बाजु में एक कॉरिडोर है जहापर जाने के लिए नक्काशी किये हुए सुन्दर दरवाजे है। यह भवन बहुत ही बड़ा और भव्य है। इसके बाजु में जो दीवारे है उनपर अलग अलग संतो की तस्वीरे लगायी गयी है।

इस चर्च की वेदी में एक सोने का गुलाब का फुल रखा गया है और उसे सन 1953 में बारहवे पोप पिउस ने दिया था। इस चर्च के वेदी के पैरों के बाजु में बल्थाज़र दा विगा की कब्र है जिनकी मृत्यु सन 1659 में हुई थी। सैंट फ्रांसिस ज़ेवियर की जानकारी देनेवाली एक पेंटिंग इस चर्च के वेदी के बाजु में रखी गयी है।

इस बासिलिका चर्च की संरचना सरल लेकिन बहुत ही शानदार और भव्य है। अब इस चर्च में पुराने छत की जगह लकड़ी से बनाये हुए छत ने ली है। चर्च में जाते ही दरवाजे के एक बाजु में सैंट फ्रांसिस ज़ेवियर की मूर्ति है मगर लोगो का उसपर आसानी से ध्यान नहीं जाता क्यों की चर्च में प्रवेश करते ही सभी लोग वेदी के पीछे की सजाई हुई दीवार को ही देखते रहते है क्यों की उसे बहुत ही अच्छे तरीके से अलंकृत कर के रखा गया है।

बासिलिका चर्च के बाजु में ही लेटराइट से बनी हुई दो मंजिली ईमारत दिखाई देती है इस ईमारत को चुने और प्लास्टर के मिश्रण से बनाया गया था। इसका निर्माण बासिलिका चर्च से भी पहले मतलब सन 1585 में किया गया था। मगर उस समय इस ईमारत के निर्माण को लेकर कई लोगो ने विरोध भी किया था।

इस प्रोफ़ेस हाउस का निर्माण डोमिंगोस फर्नान्देस ने करवाया था और इस ईमारत को पूरी तरह से जेसुइट के नियमो के अनुसार ही बनाया गया था।

इस चर्च को बनाने के पीछे एक बहुत ही रोचक कहानी छिपी है। इस चर्च को तेरिरो दोस गलोस चौक में बनाने को लेकर जेसुइट को सीनेट की तरफ़ से सांता कैसा दा मिसेरिकोर्डिया और फ्रंसिस्कांस ने कडा विरोध किया था। लेकिन उन्हें क़ानूनी तौर पर चर्च बनाने को रोकने से एक दिन पहले ही वहापर अचानक से दो फादर और एक ब्रदर आये और उन्होंने वहा के किसी छोटे घर को ही एक चर्च में परिवर्तित कर दिया और उसके बाद में उन्होंने उस घर के दरवाजे पर ‘जीजस’ शब्द भी लिखा।

उसके अगले ही दिन सुबह में ही लोगो के लिए चर्च खोल दिया गया और चर्च की घंटा भी बजना शुरू हो गयी थी जिसकी वजह से सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए थे और चर्च और घंटी को देखने के लिए इकट्टा हो गए थे। उसके बाद में चर्च का विरोध करनेवाले कभी भी उस चर्च को वहा से हटा नहीं पाए।

सन 1663 में लगी भीषण आग की वजह से इस चर्च के कई सारे महत्वपूर्ण इमारते और कॉरिडोर पूरी तरह से तहस नहस हो गए थे लेकिन सन 1783 में इस चर्च की मरम्मत की गयी। इस चर्च की एक और उपरी मंजिल 1886 और 1887 के दौरान गिराई गयी थी।

आज इस बासिलिका चर्च के बाजु में एक नयी आर्ट गैलरी बनायीं गयी है।

गोवा के इस चर्च का निर्माण बहुत सालों पहले किया गया था। जब इस चर्च का निर्माण हो ने जा रहा था तो उस वक्त बहुत सारे लोगो ने इसके निर्माण को लेकर विरोध किया था। जब इस चर्च की बनाने की बाते हो रही थी तो उस वक्त विशेष रूप से सीनेट के लोगो ने कड़ा विरोध किया था।

सीनेट के लोग चर्च को बनाने के पूरी तरह से खिलाफ थे। लेकिन एक दिन अचानक वहापर कुछ फादर और कुछ ब्रदर आये और उन्होंने बहुत चमत्कारिक रूप से वहाके एक छोटे से घर को ही चर्च में बदल दिया था। मतलब आज के इस बड़े बासिलिका चर्च की शुरुवात एक छोटे से घर से हुई थी।

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