Essay on GST
भारत जैसे देश मे जहाँ पर बहुत सारे राज्य मौजूद है, इस स्थिती मे राजस्व मे सुधार हेतू नई प्रणाली लागू करने का निर्णय बहुत पहले से लिया गया था। पर कुछ कारणवश इस नए राजस्व प्रणाली को लागू साल २०१७ मे लागू किया गया जिसे ‘जी.एस.टी'(GST) यानि के ‘गुड्स एंड सर्विस टैक्स’ के नामसे जाना जाता है।
‘जीएसटी’ पर निबंध – Essay on GST in Hindi
आम तौर पर जी.एस.टी का हिंदी अनुवाद ‘वस्तू और सेवा कर’ होता है, जिसमे वस्तू निर्माण से लेकर उसे अंतिम उपभोक्ता तक पहुचने तक क्रमबध्द तरीके से लागू किया गया होता है।
बात करे जी.एस.टी के इतिहास की तो साल १९९९ मे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के कार्यकाल के दौरान जी.एस.टी कर प्रणाली प्रस्तावित की गई थी। इस हेतू भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्तमंत्री असीम दास गुप्ता के मार्गदर्शन मे जी.एस.टी समिती का गठन हुआ था जिसमे इस कर प्रणाली का एक मॉडेल भी पेश किया गया था।
पर इसके बाद साल २००४ से केंद्र मे काँग्रेस सरकार के आने से इस करप्रणाली को लागू नही किया गया, जिसको अंत मे १ जुलाई २०१७ से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा लागू किया गया।
मुख्य रूप से जी.एस.टी एक अप्रत्यक्ष कर होता है, जो के केंद्र सरकार द्वारा संपूर्ण भारत मे लागू किया गया है। इसके अलावा इस कर प्रणाली को चार प्रकारो में बाँटा गया है जिसमे
- केंद्र वस्तू और सेवा कर (CGST)
- राज्य माल और सेवा कर (SGST)
- केंद्र शासित प्रदेशो के सामान और सेवा कर (UTGST)
- एकीकृत माल और सेवा कर (IGST) इत्यादि शामिल है।
इसे ठीक तरह से समझने का अब हम प्रयास करेंगे, जिससे ये कर कैसे लागू होता है ये स्पष्ट तौर पर जानने मे मदद मिलेगी।
१. केंद्र वस्तू और सेवा कर (CGST): मुख्य रूप से भारत के सभी राज्यो और केंद्रशासित प्रदेशो मे वस्तू निर्माण तथा सेवा के दौरान खरीद-बिक्री पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया जानेवाला ये कर होता है। जैसे के केंद्र सरकार द्वारा पहले से देश के राज्यो और केंद्रशासित प्रदेशो मे कुछ कर लागू थे जिसमे कस्टम ड्युटी, केंद्रीय बिक्री कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, विशेष अतिरिक्त शुल्क इत्यादी शामिल थे अब ये सभी कर जी.एस.टी अंतर्गत सी.जी.एस.टी मे शामिल किए गए है।
२. राज्य माल और सेवा कर (SGST): जैसा के प्रत्येक राज्य मे केंद्र सरकार का सी.जी.एस.टी लागू किया गया है उसी प्रकार प्रत्येक राज्य सरकार के शुरु से स्वतंत्र कर मौजूद थे जो वैट, मनोरंजन कर इत्यादी शामिल थे। जी.एस.टी के आने के बाद राज्य अंतर्गत कर का रूपांतरण एस.जी.एस.टी के तौर पर हुआ। यहाँ पर राज्य के सभी कर हटाकर केवल मात्र एस.जी.एस.टी को लागू किया गया है, जो के संबंधित राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है।
३. केंद्र शासित प्रदेशो के सामान और सेवा कर (UTGST): भारत मे मौजूद कुल केंद्र शासित प्रदेशो मे से चंडीगढ, दमन, दादरा और नगर हवेली, अंडमान और निकोबार तथा लक्ष्वद्वीप आदि जगहो पर जी.एस.टी के आने के बाद वस्तू और सेवाओ पर यु.टी.जी.एस.टी कर लागू किया गया। इसके अनुसार पुराने सभी करो को रद्द कर इस कर को लिया जाता है।
४. एकीकृत माल और सेवा कर(IGST): जैसा के राज्य के अंतर्गत वस्तू और सेवाओ के लिए एस.जी.एस.टी होता है उसी प्रकार से अगर राज्यो के बिच वस्तूओ और सेवाओ हेतू आई.जी.एस.टी लागू किया गया है। इस कर को वसुलने के अधिकार केंद्र सरकार के पास होते है, जिसको बादमे संबंधित राज्यो को बाँट दिया जाता है।
आम तौर पर जी.एस.टी कर को पाँच स्तर पर विभाजित किया गया है जिसके दर 0%, 5%, 12%, 18% और 28% है। जी.एस.टी का मुल उद्देश्य व्यवसायी और उपभोक्ता दोनो को लाभ पहुचाना है, जिसके लिए इसके आने से अन्य सभी कर हटाकर केवल इसे लागू किया गया है।
जी.एस.टी का महत्वपूर्ण फायदा ये माना जाता है के संपूर्ण भारत मे एक प्रकार का कर देना होता है, जिसमे विशिष्ट उत्पाद का निर्माण तथा उसकी सेवा आपूर्ति मे एक सी कर प्रणाली लागू हुई है।
निष्कर्ष :
भारतीय अप्रत्यक्ष कर प्रणाली मे सुधार हेतू जी.एस.टी को लागू किया गया है, जिसमे उत्पाद के प्रत्येक स्तर से लेकर सेवा आपूर्ति तक इसका प्रभाव दिखाई देता है। जी.एस.टी कर प्रणाली को विभिन्न प्रकारो मे तथा दरो मे लागू किया गया है, जिससे केवल अप्रत्यक्ष कर प्रभावित है इसका प्रत्यक्ष कर से कोई भी संबंध नही है।