इतिहास की सबसे मशहूर जोधा अकबर की प्रेम कहानी

Akbar and Jodha Bai Love Story History

जोधा-अकबर की प्रेम कहानी की मिसाल आज भी दी जाती है। जोधा अकबर की प्रेम कहानी इतिहास की सबसे मशहूर प्रेम कहानी है। दोनों का प्रेम अजर-अमर है।

जोधा एक बेहद सुंदर हिन्दू राजकुमारी थी, जिन्हें मुस्लिम शासक अकबर से प्रेम हो गया था। वहीं अकबर भी उनकी धार्मिक भावनाओं का बेहद ख्याल रखते थे, उन्होंने कभी भी राजकुमारी जोधा को मुस्लिम धर्म की रीति-रिवाजों को अपनाने के लिए जोर नहीं डाला और न ही हिन्दू रीति-रिवाजों का पालन करने से उन्हें रोका, वहीं जोधाबाई भी मुगल सम्राट अकबर की भावनाओं की कदर करती थी एवं उन्हें बेहद मान-सम्मान देती थीं, साथ ही हर परिस्थति में उनका साथ निभाती थीं।

हालांकि, जोधा-अकबर की प्रेम कहानी के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत है। कई इतिहासकार जोधा-अकबर की कहानी को पूरी तरह सच मानते हैं तो कई इतिहासकारों का मानना है कि जोधा का किरदार इतिहास में कहीं भी देखने को नहीं मिलता है।

इतिहास में जोधा-अकबर की बेमिसाल प्रेम कहानी का कोई पुख्ता प्रमाण देखने को नहीं मिलता है।

जोधा-अकबर की प्रेम कहानी को किसी लेखक की कल्पना भी माना जाता है, फिलहाल सच चाहे जो भी हो, लेकिन जोधा-अकबर के प्रेम की यह कहानी कल्पना और वास्तविकता के बीच के अंतर को खत्म करती हैं और हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति की एकता की अनूठी मिसाल पेश करती हैं।

वहीं इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको जोधा-अकबर की रोचक प्रेम कहानी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं, लेकिन जोधा-अकबर की पूरी कहानी जानने से पहले आप जोधा और अकबर के बारे में जान लीजिए-

इतिहास की सबसे मशहूर जोधा अकबर की प्रेम कहानी – Jodha Akbar ki Kahani

Jodha Akbar ki Kahani

जोधाबाई के बारे में एक नजर में – Jodha Bai History

पूरा नाम (Name) जोधा बाई
पिता (Father Name) राजा भारमल
माता (Mother Name) मानवती साहिबा
विवाह (Husband Name) अकबर
बच्चे (Children’s) जहांगीर
धर्म (Religion) हिन्दू
जाति (Cast) राजपूत

जोधाबाई एक राजपूत राजकुमारी थी, जिनके जन्म के बारे में इतिहाकारों के अलग-अलग मत हैं, हालांकि उनका जन्म 1 अक्टूबर, 1542 में माना जाता है। वे राजपूत शासक राजा भारमल की पुत्री थी।

जोधाबाई के बारे में इतिहास में स्पष्ट जानकारी नहीं हैं। फिलहाल कुछ तथ्यों एवं रिसर्च से मिली जानकारी के मुताबिक जोधाबाई अपने गुण और रुप के लिए भी काफी प्रसिद्ध थी, जिनका विवाह कुछ राजनैतिक कारणों चलते प्रसिद्ध मुगल शासक जलालउद्दीन अकबर के साथ हुआ था।

इनका विवाह 6 फरवरी, 1962 को मुगल बादशाह अकबर के साथ भले ही राजनैतिक समझौते के तहत हुआ था, लेकिन दोनों की प्रेम कहानी इतिहास की सबसे मशहूर प्रेम कहानी है।

इन दोनों को विवाह के बाद जहांगीर नाम की संतान भी पैदा हुई, जिसने अकबर की मौत के बाद काफी दिनों तक मुगल राजगद्दी संभाली थी और मुगल सम्राज्य का विस्तार करने में अपनी  महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जोधाबाई को जहांगीर के शासनकाल के दौरान हिन्दुस्तान की रानी मां के नाम से भी संबोधित किया जाता था, जोधाबाई ने करीब 43 सालों तक हिन्दू मुगल महारानी के रुप में शासन किया।

आपको बता दें कि जोधाबाई, मुगल सम्राट अकबर की सबसे प्रिय और पसंदीदा पत्नी थी, जिन्हें अकबर बेइंतहा प्यार करते थे एवं काफी सम्मान देता था साथ ही उन्होंने जोधा को कभी मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए बाध्य नहीं किया, बल्कि वे जोधा के साथ उनके मुगल शाही महल में हिन्दू रीति-रिवाज एवं पूजा-पाठ की गतिविधियों में भी शामिल होते थे।

जोधाबाई को वोली निमात बेगम, मल्लिका-ए- हिन्दुस्तान, मल्लिका-ए- मुअज्जमा की भी उपाधि दी गई थी। जोधाबाई रुपवती होने के साथ-साथ अपनी व्यापारिक कुशलता के लिए भी जानी जाती थी।

यही नहीं मुगल सम्राज्य में वे अकबर की महारानी के तौर पर मसाले और रेशम का व्यापार संभालती थी।

हिन्दु मुगल राजकुमारी जोधाबाई का 1623 में देहांत हो गया, उनकी मौत के बाद उनकी इच्छा के  मुताबिक उन्हें उनके पति मुगल सम्राट अकबर की कब्र के पास दफनाया गया था।

अकबर के बारे में एक नजर में – Akbar Information

पूरा नाम (Name) मोहम्मद जलालउद्दीन अकबर
जन्म (Birthday) 15 अक्टूबर, 1542
पिता (Father Name) मुगल सम्राट हुमायूं
माता (Mother Name) हमीदा बानो बेगम
विवाह (Wife Name)
  • रुकैया बेगम,
  • सलीमा सुल्तान,
  • जोधाबाई
बच्चे (Children)
  • जहांगीर,
  • मुराद मिर्जा,
  • दानियाल,
  • हुसैन,
  • हवर्ष
शासनकाल (Reign) 1556-1605 तक
मृत्यु (Death) 27 अक्टूबर, 1605

फतेहपुर सीकरी, आगरा

मोहम्मद जलालउद्दीन अकबर मुगल वंश के सबसे प्रभावशाली, प्रसिद्ध एवं सफल सम्राटों में से एक थे। वे अपनी राजनैतिक कुशलता और सूझबूझ के लिए पहचाने जाते थे। उन्होंने अपने शासनकाल में मुगल सम्राज्य का काफी विस्तार भी किया था।

उनके बारे में सबसे दिलचस्प बात यह थी कि अशिक्षित होने के बाबजूद भी वे बेहद विद्धान, प्रतिभाशाली और ज्ञानी थी, उन्हें लगभग सभी विषयों की अच्छी जानकारी थी।

उन्होंने अपने जीवन में कई महान एवं नेक काम किए थे, जिसकी वजह से उन्हें ”अकबर महान” कहकर भी संबोधित किया जाता था।

मुगल सम्राट अकबर सभी धर्मों को समान सम्मान देते थे। उन्होंने कई धर्मों के तत्वों को एकत्र कर एक नया संप्रदाय ”दीन-ए-इलाही” की भी स्थापना की थी।

इसके अलावा उन्होंने गैर मुस्लिमों के लिए कई ऐसी नीतियां बनाई जिसकी वजह से शांतिपूर्ण माहौल कायम हो सका। इसके साथ ही अकबर द्वारा हिन्दुओं के हित के लिए किए गए कई  कामों की वजह से उनकी पहचान बाकी मुगल शासकों से एकदम अलग थी।

वहीं अकबर के हिन्दू प्रेम को जोधा-अकबर की प्रेम कहानी से भी जोड़ा जाता है। हालांकि, राजपूत राजकुमारी जोधा से उनका विवाह राजनैतिक कारणों की वजह से हुआ था, लेकिन बाद में दोनों की प्रेम कहानी इतिहास की सबसे चर्चित प्रेम कहानी बन गईं।

जोधा-अकबर की प्रेम कहानी – Jodha Akbar Love Story

जोधा-अकबर की प्रेम कहानी इतिहास की सबसे अनूठी प्रेम कहानी है, उन दोनों की कहानी आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है।

जोधा-अकबर की प्रेम कहानी हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति की एकता की मिसाल कायम करती है साथ ही दोनों धर्मों के लोगों को बिना किसी मनुमटाव और भेदभाव के मिलजुल कर प्रेम भाव से रहने के लिए भी प्रेरित करती है।

जोधा अकबर की प्रेम कथा काफी रोचक और दिलचस्प है, जिसके मुताबिक जब मुगल बादशाह अकबर अपने मुगल सम्राज्य का विस्तार करने में लगा हुआ था, तब अकबर अपनी सैन्य शक्ति एवं ताकत से लगभग पूरे भारत पर अपना कब्जा करना चाहता था।

हालांकि उस दौरान अकबर के सबसे बड़े शत्रु राजपूत थे। वहीं इतिहास में राजपूतों के साथ शत्रुता को मुगल सम्राट अकबर और राजपूत शासक महाराणा प्रताप के युद्द के रुप में भी जाना जाता है।

वहीं अकबर को राजपूतों की शक्ति का अंदाजा था, इसलिए भारत के कुछ बचे हुए हिस्सों पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिए एक रणनीति बनाई, जिसमें युद्द करने की बजाय समझौता और आपसी संबंध स्थापित करना शामिल था।

मुगल सम्राट अकबर के पास विशाल सैन्य बल होने के बाबजूद भी उन्होंने अपनी इस रणनीति के तहत राजपूतों से परिवारिक रिश्तों को बनाने की नीति अपनाई, दरअसल, अकबर की यह रणनीति उसकी उदारता को भी दर्शाती है, क्योंकि अकबर युद्ध में हजारों जिंदगियों को तबाह नहीं होने देना चाहता था।

वहीं अकबर और जोधा का विवाह भी एक राजनैतिक समझौता था, हालांकि बाद में उनकी प्रेम कहानी की मिसाल दी जाने लगी थी।

दरअसल, मुगल सम्राट अकबर ने अपनी चतुराई से रणनीति के तहत, आमेर के राजा भारमल की तीनो बेटियों को बंदी बना लिया।

जिसके बाद राजा भारमल को मजबूरन अकबर से संधि करनी पड़ी। इस समझौते के तहत उन्होंने अपनी पुत्री हीरा कुंवर यानि की जोधाबाई का विवाह 6 फरवरी, 1562 में अकब के साथ कर दिया।

इस तरह जोधा-अकबर की प्रेम कहानी की शुरुआत हुई, दरअसल मुगल सम्राट अकबर ने मुस्लिम शासक होते हुए भी जोधा बाई को कभी मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए जोर नहीं डाला औऱ न ही हिन्दू रीति-रिवाज का पालन करने एवं पूजा-अनुष्ठान आदि करने के उन्हें कभी रोका और अकबर का यही रवैया जोधा-अकबर की अटूट प्रेम कहानी का आधार बना।

जिसे देख राजपूत राजकुमारी जोधाबाई के मन में भी मुगल शासक अकबर के प्रति प्रेम, सम्मान की भावना पैदा हुई और उन्होंने अकबर को भी हिन्दू रीति-रिवाज एवं संस्कृति से परिचय करवाया।

यही नहीं बाद में अकबर भी जोधाबाई के साथ उनके शाही महल में पूजा-पाठ में शामिल होता था।

वहीं मुगल सम्राट अकबर के द्वारा दोनों धर्म के लोगों को बराबर मान-सम्मान दिया जाता था, साथ ही उसके शासन में हिन्दू-मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग आपस में मिलजुल कर एवं प्रेम से रहते थे, जिससे जोधाबाई को काफी प्रसन्नता होती थी, एवं धीमे-धीमे उनका प्यार अकबर के प्रति बढ़ता गया।

वहीं दूसरी तरफ मुगल शासक अकबर भी जोधाबाई को अपनी सभी पत्नियों में सबसे अधिक मान-सम्मान देता था, एवं प्यार करता था।

जोधाबाई उसकी प्रिय रानियों में से एक थी। वह जोधाबाई के निडर व्यवहार, साहस, एवं बौद्धिक क्षमता का दीवाने थे। यही नहीं अपने राज से संबंधित कई फैसले भी वह जोधाबाई की सलाह लेकर करता था।

वहीं जोधाबाई भी अपनी सूझबूझ के साथ अकबर के हर फैसले पर अपनी राय देती थी और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती थीं।

वहीं बाद में राजपूत राजकुमारी जोधाबाई को मरियम-उज-जमानी एवं “मल्लिका-ए-हिंद” का खिताब भी हासिल हुआ।

वहीं शादी के बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ा एवं तीन संतानें पैदा हुईं, लेकिन जोधा बाई और अकबर की पहले दो बच्चे हसन और हुसैन की जन्म के कुछ दिनों बाद ही मौत हो गई, फिर बाद में सलीम अथवा मुगल सम्राट जहांगीर के रुप में दोनों को तीसरी संतान पैदा हुई।

वहीं अकबर के बाद जहांगीर ने मुगल राजगद्दी पर शासन किया एवं मुगल सम्राज्य का विस्तार किया।

इस तरह जोधाबाई और अकबर की प्रेम कहानी हिन्दू-मुस्लिम दोनों संस्कृति का अनूठा संगम है।

हालांकि कई इतिहासकार जोधा-अकबर की प्रेम कहानी को झूठा और निराधार बताते हैं, तो कई इतिहासकार जोधा को सिर्फ किसी लेखक की कहानी का काल्पनिक पात्र बताते हैं और जोधा का इतिहास में नहीं होने का दावा करते हैं।

भले ही जोधा-अकबर की कहानी को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं, लेकिन यह कहानी कल्पना और वास्तविकता के बीच के अंतर को खत्म करती है एवं कई लोगों के सामने एक अनूठी मिसाल पेश करती हैं।

जोधा-अकबर की अटूट प्रेम कहानी को लेकर फिल्म एवं मशहूर सीरियल भी बन चुके हैं।

जोधा-अकबर की प्रेम कहानी पर फिल्म एवं टीवी धारावाहिक – Jodha Akbar Serial, Movie

फिल्म जोधा-अकबर को साल 2008 में रिलीज किया गया था। इस फिल्म को निर्देशक आशुतोष गोवारेकर ने बनाया था। जोधा-अकबर की प्रेम कहानी पर आधारित यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सबसे ज्यादा हिट रही थी।

हालांकि, यह फिल्म काफी दिन तक विवादों में भी घिरी रही थी। दरअसल, इस फिल्म को लेकर राजपूत समाज का कहना था कि फिल्म जोधा-अकबर की स्टोरी सच्ची घटना पर आधारित नहीं है, जबकि इस फिल्म के निर्देशक आशुतोष गोवारेकर ने इस फिल्म की कहनी को सच्ची घटना पर आधारित होने का दावा किया था और कहा था कि काफी रिसर्च करने के बाद ही यह फिल्म बनाई गई है।

इस फिल्म में बॉलीवुड के मशहूर एक्टर ऋतिक रोशन ने जलाउद्दीन मोहम्मद अकबर का किरदार निभाया है, जबकि अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय जोधा बाई के किरदार में नजर आईं थी।

इसके अलावा इस फिल्म में ए.आर रहमान और जावेद अख्तर ने म्यूजिक दिया है। वहीं इस फिल्म के बाद जोधा-अकबर टीवी सीरियल का भी साल 2013 में जी टीवी पर प्रसारण किया गया था।

मशहूर टीवी प्रोड्यूसर, फिल्म प्रोड्यूसर, डायरेक्टर एवं बालाजी टेलीफिल्मस की क्रिएटिव हेड और संयुक्त प्रबंध निदेशक एकता कपूर ने इस टी शो को प्रोड्यूस किया था।

यह धारावाहिक भी दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया था। इस टीवी सीरियल में फेमस टीवी एक्टर रजत टोकस और परिधि शर्मा ने मुख्य भूमिका अदा की थी।

जोधा-अकबर की बेमिसाल प्रेम की आज भी लोगों द्वारा मिसाल दी जाती है। जिस तरह दोनों ने एक राजनैतिक समझौते के तहत हुए विवाह के बाद भी अपने अटूट प्रेम और सम्मान से हिन्दू-मुस्लिम दोनों संस्कृति की एकता एवं मिलाप की नींव रखी, जो कि वाकई सराहनीय हैं एवं इन दोनो का प्रेम अजर और अमर है।

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