जानिए आख़िर खालिस्तान आंदोलन है क्या और ये क्यों शुरु किया गया था?

What is the Khalistan Movement

समय – समय पर कई ऐसी घटनाएं घटित होती है जिनके इतिहास की परछाई अक्सर हमारे आज पर भी पड़ती है पंजाब में 1980 के दशक में जोर पर आया खालिस्तान आंदोलन – Khalistan Movement भी कुछ ऐसा ही है। खालिस्तान आंदोलन – Khalistan Movement आज भी पंजाब और दुनियाभर के कई देशों में एक स्तर पर चल रहा है हालांकि समय के साथ ये थोड़ा कमजोर हुआ है लेकिन भविष्य में किसी ताकतवर नेतृत्व में दोबारा हवा मिल सकती है। चलिए आपको बताते है कि असल में खालिस्तान आंदोलन – Khalistan Movement है क्या और ये क्यों शुरु किया गया था?

Khalistan Movement
Khalistan Movement

जानिए आख़िर खालिस्तान आंदोलन है क्या और ये क्यों शुरु किया गया था? – What is the Khalistan Movement

दरअसल खालिस्तान सिखों द्वारा प्रस्तावित अलग देश का नाम है। जैसा कि आप सभी जानते ही है कि भारत में अधिकाँश सिख पंजाब में रहते है। पंजाब के अमृतसर शहर में ही खालिस्तान आँदोलन – Khalistan Movement की शुरुआत हुई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि अमृतसर सिखों के महत्वपूर्ण राजनैतिक और धार्मित अकाल तख्त का क्षेत्र है।

यही पर साल 1980 में खालिस्तान आंदोलन – Khalistan Movement जोर पर था माना जाता है कि खालिस्तान आँदोलन को विदेशों में रहने वाले सिखों की वित्तीय सहायता प्राप्त थी। जिस वजह से पंजाब में स्थिति ओर भी खराब होने लगी थी। जिस वजह से भारत सरकार को सैन्य बल के जरिए इस आंदोलन को कुचलना पड़ा था।

खालिस्तान आंदोलन से जुड़ी अहम बातें – Facts about Khalistan Movement

साल 1966 में पंजाबी भाषी लोगों की अलग राज्य की मांग के बाद पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ अस्तित्व में आए। जिसके बाद साल 1980 में खालिस्तान ने जोर पकड़ा। जिसमें जरनैल सिंह भिंडरावाला ने अहम भूमिका निभाई। जरनैल सिंह भिंडरावाला की लोकप्रियता ने इस आंदोलन को हिंसक रुख दे दिया था। जिस कारण साल 1980 से 1984 के दंगो में पंजाब में हजारों लोग मारे गए। साल 1983 में डीआईजी अटवाल को स्वर्णमंदिर में मार दिया था। जिसके बाद भिंडरवाला ने स्वर्ण मंदिर में ही अपना ठिकाना बना दिया।

माना जाता है कि भिंडरवाला सैकड़ों हथियाबंद सुरक्षाकर्मियों से घिरा रहता था। जिसने स्वर्ण मंदिर एक हथियार बंद किले में बदल दिया था।

भिडंरवाला को स्वर्ण मंदिर से निकालने के लिए इंदिरा गाँधी सरकार ने सैन्य बल के जरिए ऑपरेशन सनडाउन चलाया। लेकिन आप नागरिकों को इसे भारी नुकसान पहुंच सकता था ।जिस वजह से ये ऑपरेशन रोक दिया गया

इसके बाद इंडियन आर्मी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिया इस ऑपरेशन को 6 जून 1984 को अंजाम दिया गया। जिसमें हुई भारी गोलीबारी में जरनैल सिंह भिंडरवाला का शव बरामद हुआ।

इस ऑपरेशन के दौरान पंजाब में रेल, रोड और एयर ट्रांसपओर्ट सर्विस रोक दी गई थी। इसके अलावा स्वर्ण मंदिर में बिजली और पानी सप्लाई भी बंद कर दी गई थी।

लेकिन खालिस्तान आंदोलन की परते इसके बाद भी समय – समय पर उभर कर आई। उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की मौत भी इसे जोड़कर देखी जाती है क्योंकि साल 1984 में ही 31 अक्टूबर को इंदिरा गाँधी की हत्या उनके ही दो सिख सुरक्षाकर्मियों ने की थी।

साल 1985 में भी एयर इंडिया में हुआ विस्फोट भी भिंडरवाला की मौत का बदला माना जाता है जिसमें 329 लोगों की मौत हो गई थी।

1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार का नेतृत्व करने वाले आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की भी साल 1986 में दो बाइक सवारों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

इसके बाद भी समय समय पर खालिस्तान आंदोलन – Khalistan Movement के हिसंक रुप से लोग रुबरु होते रहे है। लेकिन यहां सोचने वाली बात ये है कि खालिस्तान आंदोलन सिखों के लिए एक अलग राष्ट्र की उम्मीद के साथ शुरु हुआ था लेकिन इस आंदोलन ने कब इतना हिंसक रुप ले लिया ये किसी को समझ नहीं आय़ा।

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