नीलम संजीव रेड्डी

एक किसान परिवार में जन्में नीलम संजीव रेड्डी भारत के 6वें राष्ट्रपति के रुप में देश की कमान संभाल चुके हैं। संजीव रेड्डी सबसे कम उम्र में देश के राष्ट्रपति के पद पर सुशोभित होने वाले पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 25 जुलाई, 1977 से 25 जुलाई 1982 तक राष्ट्रपति के रुप में देश का कार्यभार संभाला।

संजीव रेड्डी महात्मा गांधी के विचारों से बेहद प्रभावित थे, बाद में वे गांधी जी के कट्टर अनुयायी बन गए और विदेशी वस्त्रों का पूर्ण रुप से त्याग कर दिया और स्वदेशी वस्त्र खादी धारण करना शुरु कर दिया था। इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजों से भारत देश को आजादी दिलवाने की लड़ाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लेकर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इसके अलावा देश के इस युवा राष्ट्रपति संजीव रेड्डी जी ने गांधी जी द्दारा चलाए गए भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था, हालांकि इस दौरान उन्हें जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी।

देश के राष्ट्रपति होने के साथ-साथ नीलम संजीव रेड्डी जी आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री, आंध्रप्रदेश कांग्रेस समिति के सामान्य सचिव एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के पद की जिम्मेदारी भी बेहद संजीदगी और कुशलता के साथ निभा चुके थे, आइए जानते हैं देश के सबसे युवा राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी जी की जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में –
Neelam Sanjiva Reddy

भारत के सबसे युवा राष्ट्रपति- नीलम संजीव रेड्डी – Neelam Sanjeeva Reddy

पूरा नाम (Name) नीलम संजीव रेड्डी
जन्म (Birthday) 19 मई 1913, इल्लुर गांव, अनंतपुर ज़िला, आंध्र प्रदेश
पिता (Father Name) नीलम चिनप्पा रेड्डी
पत्नी (Wife Name) श्रीमती नागा रत्नम्मा
बच्चे (Children Name) एक बेटा, तीन बेटियां
पढ़़ाई (Education) ग्रेजुएशन
पुरस्कार-उपाधि (Awards) 1958 में वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी द्धारा,

त्रिमूर्ति द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया था।

मृत्यु (Death) 1 जून 1996, बैंगलोर, कर्नाटक

जन्म, परिवार और शिक्षा –

भारत के सबसे युवा राष्ट्रपति रह चुके नीलम संजीव रेड्डी जी 19 मई 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के इल्लुर नामक गांव के एक किसान एवं मध्यमवर्गीय तेलुगु भाषी परिवार में जन्में थे। बचपन से ही वे तेज बुद्दि के बालक थे। वहीं उनके पिता नीलम चिनप्पा रेड्डी कांग्रेस के कार्यकर्ता के रुप में काम भी कर चुके थे।

साल 1935 में जब वे 22 साल के थे तब उनकी शादी नागा रत्र्म्मा के साथ हुई, इन दोनों को शादी के बाद एक बेटा और तीन बेटियां भी पैदा हुईं। संजीव रेड्डी ने भी अपनी शुरुआती पढ़ाई अडयार (मद्रास) के थियोसोफिकल हाई स्कूल से शुरु की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई अनंतपुर के मद्रास यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेज गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज से पूरी की थी।

स्वाधीनता आंदोलन में भूमिका और जेल यात्राएं:

साल 1929 में जब महात्मा गांधी ने अनंतपुर का दौरा किया तब वे उनसे इतने प्रभावित हुए कि वे उनके कट्टर अनुयायी बन गए इसके साथ ही उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और महात्मा गांधी के साथ आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और इसके बाद रेड्डी जी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई।

नीलम संजीव रेड्डी जी ने विद्यार्थी जीवन में ही एक सत्याग्रह में हिस्सा लिया। इसके साथ ही उन्होंने महात्मा गांधी जी के भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, हालांकि उन्हें इस दौरान कई बार जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी थी।

नीलम संजीव रेड्डी जी सन् 1940 से सन् 1945 तक करीब 5 साल तक जेल में रहे। पहले वे 1 जून 1941 से 18 मार्च 1942 तक वेल्लूर की जेल में रहे, इस दौरान उन्हें सरकार ने छोड़ दिया, लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन में एक बार फिर गिरफ्तार हो गए और उन्हें 11 अगस्त 1942 से सन् 1945 तक अमरावती और वेल्लूर के जेल में रहना पड़ा।

राजनैतिक जीवन –

नीलम संजीव रेड्डी जी ने युवा कांग्रेस के सदस्य के रुप में अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की थी, और फिर उन्होंने राजनीति के कई अहम पदों पर एक कुशल राजनेता के रुप में काम किया था। चलिए नजर डालते हैं नीलम संजीव रेड्डी जी के राजनैतिक जीवन में –

  • साल 1936 में नीलम संजीव रेड्डी जी, आंध्र प्रदेश प्रोविजनल कांग्रेस कमिटी का सचिव के पद पर नियुक्त हुए और करीब 10 साल तक उन्होंने इस पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दीं।
  • साल 1946 में नीलम संजीव रेड्डी जी मद्रास कांग्रेस विधान मंडल के सचिव बने।
  • देश की आजादी के दो साल बाद साल 1949 में नीलम संजीव रेड्डी जी को मद्रास राज्य में वन, आवास, और निषेध मंत्री बनाया गया। इस पद पर करीब 2 साल तक रहे और फिर वे मद्रास विधानसभा चुनाव हार गए।
  • साल 1951 में नीलम संजीव रेड्डी जी आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने।
  • साल 1952 में अपनी योग्यता और राजनैतिक अनुभवों की बदौलत वे आंध्रप्रदेश के उपमुख्यमंत्री के पद पर नियुक्त किए गए।
  • सन् 1956 में जब आंध्र प्रदेश राज्य का गठन हुआ, उस दौरान नीलम संजीव रेड्डी जी को मुख्यमंत्री बनाकर इस नए राज्य की बागडोर सौंपी गई।
  • आंध्रप्रदेश के सीएम बनने के तीन साल बाद ही साल 1959 में रेड्डी जी ने अपने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया और फिर उन्होंने साल 1962 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रुप में काम किया।
  • दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर काम करने के बाद साल 1962 में उन्होंने इस पद से भी इस्तीफा दे दिया और फिर वे 12 मार्च, 1962 में अपने गृहराज्य आंध्रप्रदेश के दोबारा मुख्यमंत्री चुने गए।
  • इसके बाद साल 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री देश के पीएम बने तब उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी जी को केन्द्र में स्टील एवं खान मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद सन् 1977 तक करीब 13 साल तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे।
  • इस दौरान उन्होंने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई के साथ भी कई अहम पदों पर रहते हुए काम किया। वहीं डॉक्टर जाकि हुसैन की मौत के बाद जब इंदिरा गांधी जी के पीएम के कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति के लिए चुनाव हुए तब रेड्डी जी को वीवी गिरी से कुछ राजनैतिक कारणों की वजह से हार का सामना करना पड़ा था।
  • इसक बाद साल 1977 में उन्होंने आंध्र प्रदेश में नंद्याल लोकसभा सीट से जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
  • साल 1977 में रेड्डी जी को लोकसभा के स्पीकर के तौर पर नियुक्त किया गया, इस पद पर भी उन्होंने पूरी कुशलता के साथ काम किया।
  • साल 1977 में राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिसमें नीलम संजीव रेड्डी जी ने निर्विरोध राष्ट्रपति का चुनाव जीता औऱ वे सबसे कम उम्र में राष्ट्रपति बनने वाले देश के पहले युवा राष्ट्रपति बने, इस दौरान उनकी उम्र 65 साल थी।
  • साल 1982 तक रेड्डी जी ने राष्ट्रपति के रुप में देश की कमान संभाली एवं इस पद पर रहते हुए उन्होंने देश के हित में कई अहम फैसले भी लिए थे। उनके द्धारा जनजाति और अनुसूचित जातियों के लिए कल्याण संबंधी समिति का गठन किया गया था।

मृत्यु –

इस तरह तीन अलग-अलग सरकार इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, चरण सिंह के साथ काम करने वाले भारत के सबसे युवा राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी जी 1 जून, 1996 में 83 साल की आयु में हमेशा के लिए यह दुनिया छोड़कर चल बसे। नीलम संजीव रेड्डी जी को राजनीति में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top