पावापुरी जलमंदिर का इतिहास – Pawapuri Jal Mandir History

Pawapuri Jal Mandir

पावापुरी जलमंदिर सभी मंदिरों से बिलकुल अलग है क्यों की यह मंदिर पूरी तरह से पानी में बनाहुआ मंदिर है और साथ ही इस मंदिर में चारो तरफ़ कमल के फूल दिखाई देते है। यह मंदिर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है।

यह मंदिर पूरी तरह से पानी में बनेहोने की वजह से इस मंदिर को पावापुरी जलमंदिर – Pawapuri Jal Mandir कहा जाता है और यह भगवान महावीर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। आज इसी भगवान महावीर के मंदिर के बारे में पूरी जानकरी हम आपको देने वाले है। पावापुरी के इस जल मंदिर की सारी जानकारी निचे विस्तार में दी गयी है।

Pavapuri Jal Mandir

पावापुरी जलमंदिर का इतिहास – Pawapuri Jal Mandir History

NamePawapuri Jal Mandir
LocationPawapuri‎, ‎Nalanda‎, Bihar, India
Main FestivalsDiwali

पावापुरी जलमंदिर बिहार के पावापुरी में स्थित है। यह मंदिर जैन धर्म के संस्थापक और 24 वे तीर्थंकर भगवान महावीर का है और इसी जगह पर भगवान महावीर ने समाधी ली थी। ईसापूर्व 528 में भगवान महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति की थी। इस मंदिर को एक टंकी में बनाया गया है जिसमे लाल रंग के कमल के फुल मौजूद है।

ऐसा कहा जाता है की इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई नन्दिवर्धन ने करवाया था। पावापुरी मेंकुल पाच प्रमुख मंदिर है उनमे इस मंदिर का नाम भी लिया जाता है। पावापुरी के इसमंदिर में भगवान महावीर की चरन पादुका को रखा गया है और इन्ही चरणों की भगवान मानकर पूजा की जाती है।

बिहार में स्थित इस जल मंदिर को अपापूरी मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर पूरी तरह से पवित्र है।

भगवान महावीर मगध के राजकुमार थे और उस वक्त उन्हें मध्यमा पावा कहा जाता था। जिस तरह कुछ समय बाद गौतम बुद्ध सन्यासी बन गए थे उसी तरह भगवान महावीर 30 साल की उम्र में सन्यासी बन गये थे। और ईसापूर्व 528 में भगवान महावीर ने मोक्ष की प्राप्ति की थी।

पावापुरी जलमंदिर से जुड़ीं पौराणिक कथा – Pawapuri Jal Mandir Story

एक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है की भगवान महावीर को मोक्ष की प्राप्ति होने के बाद में उन्होंने इसी पावापुरी में समाधी ली थी। जिस जगह पर भगवान महावीर ने समाधी ली थी उसी जगह पर से लोग उनकी पवित्र अस्थियो की मिटटी को लेकर जाते थे और इसी तरह उस जगह सारी मिटटी कम होती गयी और उस जगह पर बडासा खड्डा तयार हो गया और उसी खड्डे में पानी भर गया और कुछ समय बाद उसे ही मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया।

पावापुरी मंदिर की वास्तुकला – Pawapuri Jal Mandir Architecture

भगवान महावीर के मंदिर कोइस टाकी में ही बनाया गया और इसमें चारो तरफ़ लाल कमल के फूल है। पावापुरी में कुलपाच प्रमुख मंदिर है जिनमे से एक भगवान महावीर का जल मंदिर भी है भगवान महावीर के इस मंदिरमें उनकी चरण पादुका भी रखी गयी है जिसकी लोग पूजा करते है।

पावापुरी का यह जल मंदिर बिहार के नालंदा जिले में गंगा नदी के किनारे पर स्थित है। पानी के अंदर इस मंदिर को बनाने के लिए सफ़ेद संगेमरमर के पत्थरों से बनाया गया है और यह मंदिर 84 बीघा में फैला हुआ मंदिर है जिसमे चारो तरफ़ से कमल के फुल दिखाई देते है।

यह मंदिर किसी विमान और रथ की तरह ही दीखता है और इस मंदिर में भगवान महावीर के चरणों की पूजा की जाती है। नदी के ऊपर से मंदिर तक जाने के लिए 600 फीट का लम्बा पुल बनाया गया है। रात के समय में यह मंदिर काफी चमकता है जिसकी वजह से यह मंदिर और भी आकर्षक दिखाई देता है। इस मंदिर की झील में कई तरह की मछलिया है और यहाँ के पुजारी मछलियों के लिए खाने की चीजे उपलब्ध कराते है।

पावापुरी मंदिर का स्थान – Pawapuri Jal Mandir Location

बिहार की राजधानी पटना से यह मंदिर केवल 108 किमीकी दुरी पर स्थित है इसके अलावा यह सबसे नजदीकी हवाईअड्डा है। देश में से किसी भीजगह से यहाँ पर आने की सुविधा उपलब्ध है। बिहार शरीफ से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशनराजगीर है जो यहाँ से केवल 38 किमी (24 मी) की दुरी पर है।

बिहार में स्थित यह मंदिर बहुत ही भव्य दीखता है। इस तरह का मंदिर पुरे बिहार में कही भी देखने को नहीं मिलता। दूर से ही इस मंदिर की झील नजर आती है और इस झील में बहुत ही सुन्दर सुन्दर कमल के फुल दिखाई देते है।

इसी वजह से पुरेसाल भर लोग इस मंदिर में आते रहते है। साल भर कई तरह के त्यौहार यहापर बड़े उत्साहके साथ मनाये जाते है। भगवान महावीर के इस पवित्र मंदिर को देखने के लिए जरुर आना चाहिए।

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