नर्तकी नटराज

गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले उन नामो की घोषणा की जाती है जिन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और भारत रत्न जैसे सम्मान दिए जाते हैं। इस बार भी वैसे ही घोषणा हुई और एक नाम सामने आया नर्तकी नटराज जो एक ट्रांसजेंडर है और भरतनाट्यम डांसर हैं।

किसी ट्रांसजेंडर को पहली बार भारत का ये बड़ा सम्मान मिल रहा है। नर्तकी नटराज का जीवन बहुत मुश्किलों से बीता और उन्हें आज ये सम्मान मिला है जो की उनके जीवन में बहुत अधिक महत्व रखता है।

Narthaki Nataraj

पहली बार किसी ट्रांसजेंडर को मिला है पद्मश्री, बड़ी रोचक है इनकी कहानी – Narthaki Nataraj

ट्रांसजेंडर यानी की किन्नरों का जीवन आसान नहीं होता है। उन्हें अपने अस्तित्व की लड़ाई खुद लड़नी पडती है उसमे जरा सा भी किसी का सहयोग नहीं होता है क्योकि इस कम्युनिटी को आज भी हेय दृष्टि से देखा जाता है।

तमिलनाडु के मदुराई में जन्मी नर्तकी नटराज को बचपन में पता चला की वो ट्रांसजेंडर है। इसी बीच उनकी दोस्ती शक्ति से हो गई। शक्ति भी एक ट्रांसजेंडर थीं और दोनों की आपस में खूब बनने लगी। दोनों साथ रहते है समाज का तिरस्कार सहते।

आख़िरकार एक दिन नर्तकी नटराज ने घर छोड़ दिया और घरवालों से दूर हो गई। घर छोड़ने के बाद दोनों के सामने जीवन गुजारने के लिए पैसों की किल्लत आयी और दोनों ने एक जगह छोटी सी नौकरी करनी शुरू कर दी।

हालाँकि इस दौरान भी उन्हें सम्मान नहीं मिला और उन्हें गलत नजरों से देखा जाता था। अब नर्तकी नटराज – Narthaki Nataraj कुछ अलग करना चाहती थीं लेकिन उनके पास डांस को छोड़कर कोई हुनर नहीं था। बचपन से वो डांस करने में रूचि रखती थी लेकिन कोई उन्हें सिखाने के लिए तैयार नहीं था।

नर्तकी नटराज – की तलाश 1984 में पूरी हुई जब उनकी मुलाक़ात तंजोर श्री केपी कटप्पा पिल्लई से हुई। पिल्लई ने उन्हें डांस सिखाने के लिए कहा और ये भी भरोसा दिलाया की एक दिन वो दुनिया में अपना नाम खुद के दम पर बनाएगी और ऐसा ही हुआ। रोजाना पिल्लई उन्हें डांस सिखाने लगे और भरतनाट्यम की ट्रेनिंग खासतौर दी जाने लगी।

नर्तकी नटराज की मेहनत रंग लायी और उन्होंने दुनियाभर में नाम कमाया। देश-विदेश में लगातार स्टेज शोज किये और भारत में खूब नाम कमाया। अलग अलग जगहों से बुलावे आने लगे और सम्मान होने लगा।

इसके बाद स्थानीय सरकार की निगाह भी उनके ऊपर गई। सरकार ने कक्षा 11वीं नर्तकी नटराज के जीवन पर एक चैप्टर शुरू किया। इस बाकायदा क्लास में पढाया जाता है। ये बताया जाता है की नर्तकी नटराज ने कैसे अपने जीवन में तरक्की की और आगे बढीं। इसके बाद नर्तकी ने एक स्कूल भी खोला जिसमे आज बहुत सारे बच्चे डांस सीखने जातें हैं। सबसे बड़ी बात की यहाँ ट्रांसजेंडर वाले विद्यार्थियों को विशेष क्लासेस दी जातीं हैं। नर्तकी ने आज ये सम्मान जीतकर खुद का और अपने कम्युनिटी का नाम बढ़ा दिया है।

वैसे पद्मश्री तो बहुत सारे लोगो को इस साल मिला और पिछले साल भी मिला था और आगे भी मिलेगा लेकिन यह बहुत ख़ास है। एक ट्रांसजेंडर को पहली बार ये सम्मान मिला है। एक ऐसा समुदाय जिसे आप महिला और पुरुष नहीं कह सकते हैं और ना ही उन्हें किसी दर्जे में रख सकतें है। उसे देश के कुछ गिने चुने लोगो में शामिल करना बहुत बड़ी बात है। नर्तकी को मिले इस सम्मान से शायद दुनिया अब ट्रांसजेंडर को सम्मान की नजर से देखने लगे।

नर्तकी नटराज आज भी स्कूल चलाती हैं और उनके स्कूल में ढेरों बच्चे पढने आते हैं। उन्हें पद्मश्री मिलना हमे ये बताता है की ये जरूरी नहीं की आप किस हालात में पैदा हुए है। जरूरी ये है की आपने उस हालात को बदलने के लिए क्या किया है।

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